शाह फैसल के बारे में झूठा प्रोपगेंडा करने वालों को पहले फैसल का इतिहास पढ़ना चाहिए

August 20, 2019 12:51 PM0 commentsViews: 589
Share news

नजीर मलिक

“शाह फैसल के वालिद को जब कश्मीर में आतंकवादियों ने गोली मार कर हत्या की थी, तब वो महज अठारह उन्नीस साल के थे और पढ़ाई कर रहे थे। पढाई पूरी कर उन्होंने आईएएस परीक्षा पोजिशन के साथ पास की और पूरे भारत में टाप किया। फिर वह कुछ साल सरकारी सेवा में रहे, लेकिन कश्मीर की अवाम की सेवा के लिए उन्होंने इतनी महत्वपर्ण नौकरी छोड दी और कश्मीर में एक राजनीतिक दल चलाने लगे। नौकरी से लेकर राजनीति में वर्तमान तक उनका कैरियार बेदाग रहा है।”। आज तक न उन पर भ्रष्टाचार के एक भी आरोप हैं न ही कभी अलगाव वादी या भारत विरोधी बयान दिया है।

वही शाह फैसल तीन दिन पूर्व हावर्ड युनिवर्सिटी में लेक्चर देने जा रहे थे, जहां वो अक्सर लेक्चर देने के लिए बुलाये जाते रहते हैं। टर्की से उनकी कनेक्टिंग फलाइट थी। लेकिन भारत में वह एयरपोर्ट पर रोक लिये गये।

उनके बारे में मीडिया के भोंपुओं द्धारा शोर कराया गया कि वह टर्की में कुछ अवांछनीय तत्वों से कश्मीर के बारे में बातचीत करने जा रहे थे। इस बारे में हावर्ड युनिवर्सिटी के सौ से अधिक जिम्मेदार लोगों ने फैसल के समर्थन में पत्र लिखा है। लोगों का कहना है कि अगर फैसल की गतिविधि वास्तव में गलत थी और उनहें जेल में डाल कर जनता को उनके बारे में सच बताना चाहिए। वरना क्या शाह फैसल का जुर्म यही है कि उनकी कनेक्टिंग फलाइल टर्की से थी जो एक मुस्लिम देश है। आखिर सरकार की मंशा क्या है? सरकार को सोचना होगा कि अगर वह कश्मीरियों पर ऐसे ही अविश्वास करेगी तो कश्मीरी अवाम को अपना कैसे बना सकेगी? ऐसा ही होता रहा तो क्या वह बहुमत को अपना विरोधी बनने से रोक पायेगी?

Leave a Reply