राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान ही शहीदों को सच्ची श्रधान्जली- डा. चन्द्रेश उपाध्याय
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। शहीद दिवस के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर युवा गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. चन्द्रेश उपाध्याय और अध्यक्षता भुवनेश्वर शर्मा ने किया।
बतौर मुख्य अतिथि डा. चन्द्रेश उपाध्याय ने शहीद दिवस के अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए शत-शत नमन करने के बाद युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें देश हित में शहीदों के पथ मार्ग पर चलकर युवा को अच्छी शिक्षा लेनी चाहिए।
डॉक्टर चन्द्रेश उपाध्यक्ष ने युवाओं में जोश भरने के साथ-साथ उन्होंने कहा कि आज कुछ युवा पीढ़ी भटक गई है, उन्हें सच्चे पथ पर अग्रसर करना हर माता-पिता का कर्तव्य है, ऐसे युवाओं के मन से निगेटिव सोच को निकाल कर उनको देशहित में इन्जीनियर, डॉक्टर, शिक्षक और श्रमयोगी बनाना होगा, तभी देश का कल्याण होगा। अच्छी सोच युवाओं में लाना होगा, तभी शहीदों का सपना साकार हो पायेगा यह विचार शहीद दिवस के अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए ब्यक्त किया।
उन्होने कहा कि शहीद भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु कि मकसद रहा कि भारत उन क्रांतिकारियों की कर्मभूमी है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना देश के लिए अपने को न्यौछावर कर दिया। वैसे तो देश को आजाद कराने के लिए अनगिनत वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की लोकप्रियता सबसे अलग रही।
तीनों क्रांतिकारियों ने अपने दम पर अंग्रेजों की हुकूमत को हीला कर रख दिया था। वहीं भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की लोकप्रियता अंग्रेजी हुकूमत को इतनी ज्याद खटक रही थी की तीनों को एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया गया।
डा. चन्द्रेश उपाध्यक्ष ने कहा कि 8 अप्रैल 1929 को चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में ‘पब्लिक सेफ्टी’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ के विरोध में सेंट्रेल असेंबली में बम फेंका गया और बिल विरोधी नारे भी लगाए गये।
सरदार भगत सिंह की गिरफ्तारी की खबर से पूरे देश में आजादी की आग और तेज हो गई। अंग्रेजी हुकूमत को इस आंच को झेल पाना मुश्किल हो गया था। इसलिए भारत के तीनों महान क्रांतिकारियों को एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया गया। 23 मार्च शहीदों की शहादत को याद करने का दिन है इसी 23 मार्च 1931 के दिन आजादी के तीन मतवालों ने हसतें-हसतें फांसी के फंदे को चूम लिया था।
इस दौरान भुवनेश्वर शर्मा ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दिन को इतिहास के पन्ने में काले अध्याय के रूप में उस वक्त को याद किया जाता है। 23 मार्च की आधी रात को अंग्रेजों की हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फंसी पर लटका दिया था, देश की आजादी के लिए खुद को देश पर कुर्बान होने वाले इन महान क्रांतिकारियों को याद करने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।
आजादी के अमर सपूत सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत-शत नमन करते हुए उन्होंने युवा गोष्ठी में कहा कि युवाओं को भारत माता के इन पराक्रमी सपूतों के त्याग, संघर्ष, बलिदान, और आदर्श की कहानी इस देश को हमेशा याद कराने के साथ-साथ प्रेरित करती रहेगी।
शहीद दिवस के अवसर पर युवा गोष्ठी में मुख्य अतिथि डॉ चन्द्रेश उपाध्याय, कार्यक्रम की अध्यक्षता/ संचालन भुवनेश्वर शर्मा ने किया, उपरोक्त के अलावा अनुभव मिश्रा, अतुल गुप्ता छात्र नेता, संतोष वर्मा, डॉ अरविंद शुक्ला, डॉ शिवानंद ओझा, ऋषभ श्रीवास्तव, सर्वेश यादव, राजन तिवारी, सुरेंद्र रस्तोगी, रामबचन, नीरज शुक्ला, सुधीर दुबे, विपिन वरुण, दुर्गेश कुमार आदि के अलावा संजय श्रीवास्तव म्यूजिशियन भी मौजूद रहे।