कोरोना से मौतों का काला सचः तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है

May 5, 2021 3:32 PM0 commentsViews: 607
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।शायर अदम गोंडवी की ये पंक्तियां आज सिद्धार्थनगर के हालात पर सटीक बैठ रहीं हैं।  जिले में कोविड ने कोहराम मचा रखा है। कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब दो चार मौतों की खबर न मिल जाती हो, मगर जिले के सीएमओ के यहां से जारी प्रेसनोट में जिले का मौसम खुशगवार या यों कहें कि गुलाबी अर्थात आल इज वेल ही लिखा जाता है।  मंगलवार को कोविड वार्ड में चार मरीजों की मौत के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के दैनिक प्रेस नोट में मौतों का आकड़ा नहीं बढ़ा, जबकि दो दिन पहले भी दो मौतों की पुष्टि हुई थी। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण 57 मरीजों की मौत हुई है। जो पिछले सप्ताह से ही चली आ रही है। लेकिन कोविड वार्ड में आए दिन गंभीर मरीजों की मौत के बावजूद इस आकड़े में परिवर्तन नहीं हो रहा है। सत्ता पक्ष इस पर खामोश है, उनकी खामोशी उनका राजधर्म हो सकता है, मगर विपक्ष को क्यों सांप सूंघ गया है? इसका रहस्य पता नहीं चल पा रहा है।  प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इसी जिले के हैं मगर लगता है कि उनकी कुर्सी का भी कोई इकबाल नहीं।

सरकारी प्रेस नोट के मुताबिक जिले में एक सप्ताह में नहीं हुई कोई मौत

स्वास्थ्य विभाग की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार जिले में 132 लोगों के सैम्पल में कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। जिले में 1403 कोरोना पॉजिटिव केस हैं। इनमें करीब 42 लोग जिला अस्पताल में भर्ती हैं और 1361 लोग होम आइसोलेट किए गए हैं। गौर करने की बात है कि पिछले 28 तारीख से मौतों के आंकड़े में कोई वृद्धि नहीं हो रही है जबकि कोरोना मरीजों में मात्र डेढ़ सौ की वृद्धि ही दिखाई जा रही है। पिछले 29 अप्रैल को जारी सीएमओ की प्रेसनोट में करोना पीड़ितों की संख्या 13 सौ और मृतकों की संख्या मात्र 57 बताई गई थी। इस बीच एक सप्ताह गुजर गया मगर सरकारी प्रेस नोट में मृतकों की संख्या में एक भी मौत का इजाफा नहीं हुआ और कोरोना मरीजों की तादाद मात्र सौ ही बढ़ी। जबकि इस दौरान जानें कितनी मौतें हो गईं। यह और बात है कि डाक्टर सभी मौतों का कारण हार्ट अटैक बताते हैं।

जमीनी हकीकत सीएमओ के दावे के उलट है

इन आंकड़ों के विपरीत जमीनी सच्चाई एक दम उलट है। मंगलवार को जिला अस्पताल में चार मौते हुईं। सोमवार को भी दो मौते हुईं थीं। इसी दिन जिले के प्रसिद्ध शिक्षक नेता की भी मौत हो गई। इससे पूर्व शोहरतगढ़ अस्पताल के इमरजेंसी के दरवाजे पर पचास वर्षीय एक अधेड़ ने तड़प तड़प कर दम तोड़ा। डुमरियागंज तहसील के ग्राम भरवठिया में एक व्यक्ति के मरने की सूचना है। जिला मुख्यालय के सिसहनियां व बेलसड़ मुहल्ले में भी मौत हुई है। इन सभी मौतों का कारण डाक्टर हार्ट अटैक ही बता रहे हैं। ये वे मौते हैं जिनकी खबर किसी प्रकार मीडिया तक पहुंची हैं। ऐसे न जाने कितनी मौतें हुई जिनका कहीं रिकार्ड नहीं किसी अस्पताल में अभिलेख नहीं। अस्पताल में मरीज मरता है तो डाक्टर जन उसे कोरोना के बजाये हार्ट अटैक से हुई मौत कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं। उनका मकसद केवल स्थिति सामान्य दिखा कर सरकार के गुस्से से बचना है। लेकिन अफसर अपने हित में जिस प्रकार सरकार को गलत रिपोर्ट दे रहें हैं उससे सरकार की ही छवि खराब हो रही है। लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं।

मर रहे करोना से, प्रशासन का दावा हार्ट अटैक से हो रही मौतें

डिप्टी सीएमओ डॉ. सौरभ चतुर्वेदी ने बताया कि 132 संक्रमित मिले हैं, उन्हें आइसोलेट कर दिया गया। साथ ही उनके संपर्क में आने वाले अन्य लोगों का सैंपल जांच के लिए भेज दिया गया। डिप्टी सीएमओ का यह बयान कितना सुंदर है, इसके विपरीत काला सच यह है कि कोरोना वार्ड के डाक्टर कोविड किट न पहन कर कहीं और आराम करते हैं, जब स्थिति बिगड़ जाती है तो कोविड किटस पहन कर वहां से भगते हैं। इसमें देर लगनी स्वाभाविक है। मंगलवार को चार लोगें की आक्सीजन के अभाव में हुई मौतों के समय भी ऐसा ही हुआ। एक मृतक का बेटा बताता है कि यदि डाक्टर मौके पर रहते तथा मेरे पिता को तत्काल आक्सीजन दे देते तो उनकी जान बच सकती थी। शायद जिलाधिकारी दीपक मीणा इस बात से वाकिफ हैं। इसीलिए उन्होंने डाक्टरों को डयूटी के समय पूरे टाइम कोरोना किट पहने रहने का आदेश दिया है।

 जिले में आक्सीजन की कोई कमी नहीं- दीपक मीणा डीएम

जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। महिला अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड में चार लोगों की मौत हुई है। उनकी स्थिति गंभीर थी, ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत नहीं हुई है। शिकायत की जांच की जाएगी।

मौतें हृदयगति रुकने से हुईं- डॉ. संदीप चौधरी, सीएमओ

महिला अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड में जिन मरीजों की स्थिति गंभीर दी थी। सांस लेने में तकलीफ थी, उनकी हृदयगति रुकने कारण मौत हुई है। अस्पताल में ऑक्सीजन प्रर्याप्त मात्रा में है, उसकी कमी नहीं है।

 

 

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