Thanks officers- अफसरों की समझदारी से इस बार साम्प्रदयिक ताकतों के मंसूबे हुए फेल
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। जिले के शोहरतगढ़ टाउन को अफसरों और शांतिप्रिय जनता की समझदारी के चलते साम्प्रदायिकता की आग में जलने से बचा लिया गया। कस्बे में दीवाली के दिन प्रेम और उल्लास का माहौल है। फिर भी शोहरतगढ़ के इतिहास को देखते प्रशासन को और भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
बताते चलें कि शोहरतगढ़ में लक्ष्मी प्रतिमा रखने की परम्परा के चलते कस्बे में लगभग दो दर्जन मूर्तियां बैठाई गई हैं । वृहस्पतिवार की शाम नेहरू नगर वार्ड के बच्चों की आड़ में कुछ शरारती तत्वों द्धारा एक लक्ष्मी प्रतिमा का पंडाल मुसाफिर खाना मार्ग पर आधे घंटे से भी कम समय में स्थापित कर दिया गया। जिसकी प्रशासन से तत्काल शिकायत दर्ज की गई। इसके बाद सह खबर इस संवेदनशील कस्बे में जंगल की आग की तरफ फैल गई। लोग तरह तरह की आशंकाओं में डूब गये।
इस खबर के बाद मौके पर उपजिलाधिकारी अनिल कुमार, सीओ राणा महेन्द्र प्रताप, एस ओ शोहरतगढ़, हिन्दू युवा वाहिनी नेता शुभाष गुप्ता सहित तमाम लोग पहुंच गये। वहां जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मूर्ति रखने वालों से कहां कि बिना परम्परा और सरकारी परमीशन के मूर्ति नहीं रखी जा सकती। इसलिए प्रतिमा को आदर पूर्वक हटाना पड़ेगा। प्रशासन का कड़ा रुख देख लोग शांत हुए और थानाध्यक्ष राजेन्द्र बहादुर सिंह ने कुशलतापूर्वक विवादित स्थान पर रखी गई प्रतिमा को देर रात तक हटवा दिया। अब कस्बे में माहौल शांत है।
ध्यान रहे कि थाना शोहरतगढ़ अभिलेख में कुल 9 प्रतिमाएं रखने की बात दर्ज है। फिर भी मूर्तियों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। बावजूद इसके सिर्फ एक मूर्ति को लेकर शिकायत हुई? इस सवाल के जवाब में मस्जिद कमेटी के सदर अल्ताफ हुसैन और कमेटी प्रमुख नवाब खान का कहना है कि वर्ष 2015 में दोनों समुदायों के द्वारा नये समारोह स्थलों पर रोक व त्योहारों के जुलूसों का रूट निर्धरित किया गया था, इसके बावजूद शाम को अचानक मुसाफिर खाना मार्ग पर मूर्ति बैठा दी गई, जबकि मुस्लिम त्योहारों के रूट पर स्थित था जिसे लेकर चिंता बढ़ रही थी। इसलिए नई मूर्ति को लेकर हमने नगर पंचायत प्रशासन व स्थानीय प्रशासन को इसकी शिकायत की।
बताते चलें कि शोहरतगढ़ साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से जिले का बेहद साम्प्रदायिक कस्बा है। यहां फिरकापरस्त ताकतें अक्सर शहर में हिंसा के फिराक में लगी रहती है। उस दिन भी अचानक यही होने वाला था, मगर चंद समझदारों के कारण फिरकापरस्तों का सारा मंसूबा फेल हो गया। शहर को शांत रखने का प्रयास करने वालों में नगर पंचायत सभासद बसपा नेता संजीव जाययसवाल, मनोज गुप्ता, नियाज़ अहमद, बाबूजी, अफसर अंसारी, नेता अल्ताफ हुसैन, मस्जिद कमेटी प्रमुख नवाब खान, सोनू निगम, महेश गुप्ता, धर्मेंद्र अग्रहरि, संजय गुप्ता आदि का सहयोग रहा।