शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से टिकट के लिए भाजपा में समय से पहले बिछ रही सियासी बिसात

September 11, 2020 2:50 PM0 commentsViews: 1681
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— सबसे बड़ा सवालः अपना दल का टिकट जाएगा तो भाजपा से कौन लाएगा?

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अभी साल भर की देर है, लेकिन वहां से चुनाव लड़ने के इच्छुक भाजपा नेताओं ने अभी से चुनावी बिसात पर अपने पांसे फेंकना शुरू कर दिया है। यह स्थिति शोहरतगढ़ सीट को भाजपा के सहयोगी दल को न देने की खबर के बाद बनी है, लिहाजा भाजपा के टिकट के दावेदारों का अभी  से सक्रिय होना स्वाभाविक है ।

क्यों नहीं मिलेगी सहयोगी दल को सीट?

दरअसल वर्तमान में इस सीट से अपना दल चौधरी अमर सिंह विधायक हैं। लेकिन वह विधायक बनने के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी का विरोध कर रहे हैं। उनके बयानों की एक लम्बी श्रृंखला है। इसलिए इस बार भाजपा इस सीट को अपने पास रखना चाहती है। वैसे अपना दल के सूत्रों का कहना है कि खुद अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भी उन्हें टिकट नहीं देना चाहती हैं। हालांकि पार्टी इसकी पुष्टि नहीं कर रही है, पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया जाता है कि अपना दल के तमाम बड़े नेता उन्हें टिकट देने के खिलाफ हैं। ऐसी खबरों की पुष्टि होने के बाद भाजपा के चुनाव लड़ने वाले नेताओं में हलचल हुई और उन्होंने अभी से अपनी राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है।

कौन कौन हैं उम्मीदवारी के इच्छुक?

इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के तमाम नेता नजरें गड़ाये हुए हैं। भाजपा नेता और पूर्व जिला पंचाायत अध्यक्ष श्रीमती साधना चौधरी इस सीट की स्वाभाविक दावेदार हैं। क्योंकि वह कई बार यहां से चुनाव लड़ चुकी है। लेकिन उनका लगातार बुरी तरह हारना ही उनका माइनस प्वाइंट है। लेकिन साधना चौधरी एक राजनीतिक घराने से हैं। उनके सगे भाई पंकज चौधरी महाराजगंज से भाजपा के सांसद हैं और लगातर जीतते आ रहे हैं। इसलिए साधना चौधरी को उम्मीद है कि उनके भाई उनको रानीतिक वैतरणी पर कराने में सक्षम हैं। बहरहाल साधना चौधरी के लिए हालात फिलहाल कठिन दिख रहे हैं।

गोविंद माधव व बाबा साहब कम नहीं

इसके अलावा भाजपा नेता गोविंद माधव और शोहरतगढ़ राजघराने के सदस्य योगेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ बाबा साहब ऐसे व्यक्तित्व हैं, जो बहुत मजबूत हैं। गोविंद माधव वर्तमान में भाजपा के जिला अध्यक्ष और जिले में भाजपा के सम्मानित नेता व कई बार मंत्री रहे स्व. धनराज यादव के के पुत्र हैं। वह भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं व संघ में भी अच्छी पकड़ रखते हैं और जमीन से जुड़े नेता की निर्विवाद छवि भी रखते हैं। इसलिए उनके समर्थन में तमाम पार्टी के तमाम लोग खड़े हैं। वैसे गोविंद के पक्ष में एक बात जरूर जाती है कि वह पिछडा वर्ग से हैं और जिले में उनके पिता के देहावसान के बाद पिछड़ों को कभी टिकट नहीं मिला।गोविंद माधव के समर्थक दलील देते हैं कि उनके पिता की राजनीतिक सेवा ही नहीं, खुद गोविंद माधव की पार्टी सेवा के कारण पार्टी द्धारा उनको इस बार टिकट मिलना ही है।

जहां तक योगेन्द्र प्रताप सिंह का सवाल है, वह शोहरतगढ़ राजघराने के सदस्य हैं। उनकी क्षेत्र में प्रतिष्ठा है। वह एक बार चुनाव लड़ कर खाये वोट बटोर चुके हैं। वह पिछले चार सालों से संघ के बहुत हाई लेबल के नेताओं के सम्पर्क में हैं। उनके पुत्र कुवंर धर्नुधर प्रताप सिंह हिंदु युवा वाहिना के कार्यक्रमों में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी रिश्तेदारियां राजस्थान में है और राजस्थान की राजपूत लाबी का भाजपा में असर सर्वविदित है। उसकी मदद को लेकर बाबा साहब काफी आशानिवत हैं। इसलिए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समय आने पर सियासी बाजी उनके हाथ जरूर लगेगी।

इन तीनों नेताओं के अलावा भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद भी अपनी पुत्री को राजनीति में उतारने की तैयारी में हैं। वे इसके लिए शोहरतगढ़ को उनकी कर्मभूमि बनाना चाहते हैं। ऐ दो नाम और भी हैं जो नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह अपने नाम का शोर कराते रहते हैं। फिलहाल तो देखने में लगता है कि इस सीट से भाजपा का टिक्ट प्राप्त करने के लिए जितना संघर्ष होगा, उतना तो चुनाव के मैदान में देखने को न मिलेगा।

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