शोहरतगढ़ सीट पर भाजपा उतार सकती है अपना प्रत्याशी, जिलाध्यक्ष गोविंद माधव सशक्त दावेदार
राजा योगेन्द्र प्रताप सिंह व केन्द्रीय मंत्री पंकज चौधरी के भांजे सिद्धार्थ चौधरी की भी मजबूत दावेदारी दो तीन साधारण चेहरे भी दौड़ में
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। भाजपा से समझौते के आधार पर विधानसभा सीट पर अपना दल का हक बनता है, मगर लखनऊ की राजनीतिक हालात के मुताबिक आगामी चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी अपना उम्मीदवार उतार सकती है तथा बदले में वह अपना दल को किसी अन्य सीट पर लड़ा सकती है। ऐसे में भाजपा के तीन-चार दावेदार समने आते हैं, जिनमें भाजपा जिलाध्यक्ष गोविंद माधव सबसे सशक्त बताये जा रहे है।
उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा अपना प्रत्याशी उतार सकती है। इसके बदले वह गठबंधन के सहयागी अपना दल को किसी दूसरे जिले की सीट दे सकती है। माना जा रहा है कि अपना दल को इसमें आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए। अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को यदि उनके प्रभाव क्षेत्र में एक नई सीट दे दी जाए तो वह इसे स्वीकार कर लेंगी। सूत्र बताते हैं कि क्षेत्र के वर्तमान विधायक के भाजपा नेताओं से रिश्ते काफी बनते बिगड़ते रहे हैं तथा स्वयं उनकी पार्टी में ही उनका विरोध किया जा रहा है।
जहां-तक भाजपा का सवाल है सूत्र बताते हैं कि गत चुनाव में गठबंधन के कारण भाजपा के जिला अध्यक्ष गोविंद माधव अंतिम क्षणों में टिकट से वंचित कर दिए गये थे। लोगों का मानना है कि यदि यहां से भाजपा ने टिकट बदला तो गोविंद माधव ही यहां से टिकट के सबसे प्रबल दावेदार होगें। भाजपा के वर्कर रहे दिनेश पांडेय के मुताबिक टिकट बदलने पर भाजपा गोविंद माधव को टिकट देकर स्व. धनाराज यादव को श्रद्धांजलि तो होगी ही, जिले में पिछड़ा वर्ग को प्रतिनिधित्व भी दे सकेगी। वैसे भी गोविंद माधव युवा और पार्टी के प्रति निष्ठावान भी हैं। जिलाध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल काफी बेहतर है। उन पर भ्रष्टाचार का एक छोटा मोटा आरोप भी नहीं है। अपने पिता और मंत्री रहे स्व. धनराज यादव की भांति वह भी साफ सुथरी छवि के राजनीतिज्ञ हैं।
इलाके अलावा पूर्व जिल पंचायत अध्यक्ष साधाना चौधरी के पुत्र व केन्द्रीय मंत्री पंकज चौधरी के भांजे सिद्धार्थ चौधरी दूसरे अन्य मजबूत दावेदार हैं। लेकिन उनकी कठिनाई यह है कि वह खुद राजि नहीं हैं। उनकी माता श्रीमती साधना चौधरी इसी क्षेत्र से निरंतर कई चुनाव हार चुकी हैं। ऊपर से उनके पिता और इसी क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे चौधरी रवीन्द्र प्रताप उर्फ पप्पू चौधरी कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं। यदि वे चुनाव नहीं भी लड़े तो आपस के मतभेदों के चलते वह सिद्धार्थ चौधरी का तगड़ा विरोध करेंगे। यह पार्टी नेतृत्व अच्छी तरह जानता है। यही नहीं पप्पू चौधरी के जनाधार को महसूस करने वाले जानते हैं कि उनके विरोध का नुकसान कितना हो सकता है।
इसके अलावा शोहरतगढ़ राजघराने के सदस्य राजा योगेन्द्र प्रताप उर्फ बाबा साहब भी तगड़े दावेदारों में से एक हैं। उनके पुत्र कुंवर धनुर्धर प्रताप पिछले चार सालों से क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। राजा साहब का पाटी के नेताओं से अधिक सम्पर्क नहीं है परन्तु संघ परिवार से उनके रिश्ते बहुत घनिष्ठ हैं।आरएसएस मुख्यालय से उनका सीधा सम्पर्क है। यही नहीं एक बार पीस पार्टी जैसे द्धितीय श्रेणी के राजनीतिक दल से चुनाव लड़ कर वह लगभग 25 वोट पाकर अपनी लोक प्रियता साबित भी कर चुके हैं। राजस्थान की भाजपा की राजपूत लाबी की भी उनकी दावेदारी का जम कर समर्थन करेगी। ऐसे में अगर संघ का उपर का नेतृत्व यदि उनकी तरफदारी करता है तो वह यकीनन भाजपा के डार्कहार्स साबित हो सकते हैं।
प्रेम त्रिपाठी भी मांग रहे टिकट
इसके अलावा प्रदेश की राजनीति में पिछले कई वर्षों से सक्रियता दिखाने वाले युवा भाजपा नेता प्रेम त्रिपाठी की भी उम्मीदवारी काफी प्रबल मानी जा रही हैं। कपिलवस्तु पोस्ट से हुई वार्ता में उन्होंने बताया कि पार्टी के बड़े नेताओं के सम्पर्क में लगातार हूं और शोहरतगढ़ क्षेत्र में पढ़ाई जीवन से ही लगाव रहा है। कोरोना काल मे भी मैं समय समय पर यहां जन समस्याओं को दूर करने का भरसक प्रयास किया था। पार्टी के आला नेताओ ने मुझे चुनाव लड़ाने को आश्वासन दिया है।
अब सवाल है कि क्या शोहरतगढ़ सीट से अपना दल को दर किनार किया जाएगा? यदि ऐसा संभव हुआ तो भाजपा में यही तीन-चार प्रमुख चेहरे टिकट के दावेदार हो सकते हैं। अभी चुनाव में टिकट की हलचल बढ़ने में एक माह की देर है। तब तक कपिलवस्तु पोस्ट की अन्य राजनीतिक विश्लेषणों पर नजर बनाये रख सकते हैं।