श्रीमदभागवद कथाः कथा वही है, जो व्यथा को दूर करे- संतोष जी महाराज
अमित श्रीवास्तव
मिश्रौलिया,सिद्धार्थनगर। असिधवा मे चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा आरम्भ करते हुए श्री सन्तोष जी महराज ने कहा कि कथा वही है जो व्यथा दूर करे कथा में व्यथा नही होती। युवा पीढी को संस्कृति के प्रति जागृत होने की जरूरत है सत्य का दीपक कभी भी नही बुझता इसलिए सदैव सत्य के रास्ते पर चलना चाहिए। बच्चो के मन मे कभी अपना या पराया शब्द नही लाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बच्चों को घर की सभी चीजो को अपना कहकर समझाना चाहिए। असिधवा गांव मे गांव वासियो के सहयोग से नौ दिवसीय संगीत मयी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। कथा के चौथे दिन कथा वाचक श्री सन्तोष जी महराज ने कथा में कहा कि गल्ती करके पछताने वाला ही सच्चा इन्सान होता है। जहाँ क्रोध,काम व लोभ होता है वहाँ लक्ष्मी का निवास नही होता है। राम का चरित्र अनुकरणीय है,कृष्ण की लीला अनुकरणीय है।
कथा के दौरान चन्द्र नारायन लाल श्रीवास्तव, शिव प्रसाद लाल श्रीवास्तव , सन्तोष श्रीवास्तव,डब्लू श्रीवास्तव, रामाज्ञा, पिन्टू श्रीवास्तव, घनश्याम, जगदीश वर्मा, प्रहलाद वर्मा, गोपाल, सूरज, गंगावर्मा, राम चन्द्र लाल श्रीवास्तव, प्रकाश चौरसिया, भुवाल पटवा, भोला बाबा, रमेश वर्मा, प्रकाशवर्मा, शिवकरन वर्मा, सहित सैकडों श्रद्धालू मौजूद रहे।