नरक पालिका बना सिद्धार्थनगर, मगर जिम्मेदारों को शर्म नहीं, गड्डा मुक्त सड़क का दावा हवा हवाई
- विधानसभा चुनाव में सत्तापक्ष क्या जवाब देगा, इसकी भाजपा नेता व नगरपालिका अध्यक्ष को कोई फिकर नहीं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सरकार के गड्ढा मुक्त सड़क बनाने के वादे के बावजूद जब जिला मुख्यालय की नगर पालिका की तमाम सड़कें बड़े बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, मगर हैरत की बात है कि सत्तापक्ष का चेयरमैन को जरा भी शर्म नहीं आती कि उसी के मुख्यमंत्री ने यह दावा कर रखा है जिसके दम पर वे सत्ता का मलाई काट रहे हैं। रविवार को समाजवादियों ने नगर की सड़को के पानी से भरे गड्ढों में जिस प्रकार धान की रोपाई कर व्यवस्था का मजाक उड़ाया है उससे पूरा निकाय प्रशासन नंगा हो गया है।
कल सिद्धार्थनगर में उसका रोड पर भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल के पुराने कार्यालय के सामने समाजवादियों ने पूर्व विधायक विजय पासवान के नेतृत्व में बाजार के सड़कों में बने विशालकाय और पनी से लबरेज गड्डों में प्रतीकात्क रूप से धान की फसल की रोपाई कर भाजपा के गड्ढा मुक्त सकड़ के दावे की असलियत बयान की। विजय पासवान ने कहा कि नगर पालिका प्रशासन अपनी करतूतों से न केवल स्वयं को, बल्कि प्रदेश सरकार को भी शर्मसार कर रहा है।
हालांकि विजय पासवान विपक्ष के नेता हैं सरकार की आलोचना उनका राजनैतिक धर्म भी है, मगर यह एक कड़वी सच्चई है कि अध्यक्ष पद पर भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल के आसीन होने के बाद से अभी तक नगर की किसी भी प्रमुख सड़क पर निकाय प्रशासन ने डामर का एक पैच तक नहीं लगाया है। उदाहारण के लिए सांसद के पुराने कार्यालय के समने के अलावा खजुरिया रोड पर थाने के मुख्यगेट से पश्चिम की चारदीवारी तक सड़क की हालत खसता है।
नगर पालिका ने उसमें नगर का कचरा पाट दिया है, जिस पर चलना मौत को दावत देना है। दो साल से पूरे शहर की दोनों तरफ की पटरी खोद के छोड़ दिया है। रेलवे क्रासिंग के दोनों तरफ सड़क खराब बहुत ही खराब है। उनके गृहस्थल पुरानी नौगढ़ के नागरिक कहते है कि पुराने नौगढ़ की बीच की मुख्य सड़क पिछले तीन वर्ष से टूटी पड़ी थी निकाय प्रशासन को इसकी कोई फिक्र नहीं थी, अभी हाल में एनएच ने बनाया है। पूर्व विधायक विजय पासवान कहते हैं कि सोहास रोड की हालत भी खस्ता है। सिसहनियां जाने वाली सड़क तो जरा सी बारिश में तालाब बन जाती है।
नगर पालिका प्रशासन किस प्रकार जनता की पीड़ा का मजाक उड़ाता है, इसका प्रमाण गत सप्तसह की तीन दिन की बारिश से लिया जा सकता है। उस बारिश में एक बड़ा ट्रांसफामर्र जल गया। अब पानी की समस्या आ खड़ी हुई। नगर पालिका के पंप पर जनरेटर की व्यवस्था थी। बावजूद इसके आधा शहर तीन टाइम तक प्यासा रहा। बारिश रुकने के बाद जब टीपी ठीक हुआ तभी पानी की सप्लाई दी गई। नगारिक कहते है कि नगर पालिका की स्थापना के बाद नागरिकों को निकाय प्रशासन के चलते ऐसी पीड़ा कभी नहीं देखनी पड़ी। अब सपाई कहते हैं कि इससे पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सपा के थे, भाजपा को उनके कार्यकाल से तुलना कर सबक लेना चाहिए।