मुआवजे को लेकर सरहदी इलाकों में तैयार हो सकती है किसान आंदोलन की भूमिका

March 15, 2021 12:28 PM0 commentsViews: 351
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मुआवजा न मिलने से किसान नाराज, भारत-नेपाल सीमा पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का निर्माण रुका

 

अभिषेक आग्रहरि

महाराजगंज। अन्तर्राष्टीय सीमा से सटे सोनौली में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के निर्माण के वास्ते 112 एकड़ अधिग्रहीत भूमि का उचित मुआवजा न मिलने से किसान  खिन्न है।  परिणाम स्वरूप चेक पोस्ट निर्माण का कार्य अवरुद्ध है।इसी को लेकर गत दिवस  किसानों एवं जिला प्रशासन के बीच चली बैठक आखिरकार बेनतीजा रही। ऐसे में लोग कहने लगे हैं कि य विगत 16 वर्षो से लटका यह मामला बढ़ते किसान आक्रोश के कारण सरहदी क्षेत्र के खेतिहारों को भी “किसान आंदोलन” की प्रेरणा दे सकता है।

यों तो 1751 किलोमीटर भारत-नेपाल की खुली सीमा से तस्करी एवं आतंकवादी गतिविधियां संचालित होने से सीमा अतिसंवेदनशील है। जबकि सीमाओ की सुरक्षा की दृष्टि से 455 चौकियां स्थापित है। इसके अलावा सीमाओं पर पुलिस, कस्टम, इमीग्रेशन, सशस्त्र सीमा बल सहित सरकारी सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हैं, फिर भी सीमा असुरक्षित है।

 बावजूद इसके सीमा की सुरक्षा के लिहाज से इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को अत्याधुनिक बनाए जाने के  उद्देश से वर्ष 2004 में किसानों से 112 एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई। मगर विड़म्बना यह रही कि  अधिग्रहण के 16 वर्ष बाद भी किसानों को उनकी मांग के अनरूप उनकी जमीनों का मुआवजा नहीं मिला। नतीजन चेकपोस्ट का निर्माण कार्य अवरुद्ध है। ऐसा नहीं है कि  प्रशासन ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की वर्ष 2012 एवं वर्ष 2016 में इसके समाधान के लिए वार्ता हुई किन्तु बात आगे बढ़ती नहीं दिखी प्रशासन ने 2 गुना सर्किल रेट दिए जाने की पेशकश की है । बता दे कि,प्रशासन ने उनके भूमि का मुआवजा दोगुना सर्किल रेट दिए जाने की पेशकश की है जबकि किसान  4 गुना सर्किल रेट की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन द्वारा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के निर्माण के लिए 144 किसानों के ऊपर वर्तमान में 42 लाख प्रति हेक्टेयर या 17 लाख एकड़ रुपए मुआवजा पर राजी होने का दबाव डाला जा रहा है । उधर किसान अपनी भूमि का  प्रति हैक्टेयर  लगभग दो करोड़ रुपए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। हालांकि सरकार उन्हें 84 लाख रुपए देने की ही पेशकश की है। इससे किसान असंतुष्ट हैं, जिसके चलते फिलहाल चेक पोस्ट निर्माण की प्रक्रिया लंबित है।

 नेपाल सीमा के सोनौली में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के निर्माण के लिए किसानों से अधिग्रहीत की गई भूमि के बावत किसान मोहम्मद मुस्तफा, मोहम्मद शहीद, अमित सिंह सहित सभासद सुरेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि वर्ष 2004 से सरकार बदलने के साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों के सुर भी बदलते रहे। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के बाद भी उसका उचित मुआवजा नहीं मिला। हां, प्रशासन की तरफ से निरंतर दबाव डाला जा रहा है कि सरकारी नियम के तहत जो मुआवजा किसानों को मिलना वह ले लें। उनका आरोप है कि नौतनवा तहसील के नुमाइंदों ने हम किसानों से जबरदस्ती कागज पर हस्ताक्षर बनवा लिए हैं। किसानों ने अश्रुपूरित नेत्रों से यह कहा कि अधिग्रहित भूमि का सरकार सही मुआवजा दें ताकि हम लोगों के जिंदगी का गुजर बसर हो सके।

कैसा होगा इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट?

आधुनिक इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट निर्माण की खासियत यह होगी कि 112 एकड़ भूमि में बनने वाले चेक पोस्ट कस्टम इमीग्रेशन, व्यापार कर, पुलिस चौकी, सुरक्षा एजेंसियों को एक छत के नीचे लाने का प्रावधान किया गया है जिससे ना केवल सीमा की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होगी जिससे तस्करी सहित आतंकवादी गतिविधियों पर विराम लगेगा।”

मंडलायुक्त और किसानों की बैठक जल्द- एसडीएम

सोनौली सीमा पर किसानों से अधिग्रहित भूमि का मुआवजा तथा इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट निर्माण के बारे में उपजिलाधिकारी नौतनवा प्रमोद कुमार का कहना है कि सरकार से मिले आदेश के अनुपालन में भूमि अधिग्रहण तत्काल किए जाने के क्रम में मंडलायुक्त गोरखपुर के वहां जिलाधिकारी महाराजगंज एवं अपर जिला अधिकारी महाराजगंज के मौजूदगी में शानिवार को अधिग्रहण प्रक्रिया का समाधान कर कानून के दायरे में रहकर तत्काल भूमि का हस्तांतरण किए जाए ताकि इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का निर्माण अभिलंब हो सके आगे उन्होंने कहा शीघ्र ही अपर मंडल आयुक्त एवं सीमा के किसानों के साथ नौतनवा में बैठक कर उचित समाधान निकाला जाएगा ताकि चेकपोस्ट के निर्माण का रास्ता साफ हो सके।

 

 

 

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