March 4, 2021 12:12 PMViews: 1567
आरिफ मक़सूद
सिद्धार्थनगर: सिद्धार्थनगर जिले में इस बार छः ग्राम पंचायत बिना प्रधान के ही 5 साल रहेंगे, अनुसूचित जनजाति के लोग का जिले में न रहने के बावजूद भी इस बार छः ग्राम पंचायतों को अनुसूचित जनजाति में आरक्षित कर दिया गया है । पिछली बार भी इस तरह के आधा दर्जन गांव बिना प्रधान के 5 वर्ष रहा है। इससे इन गांवों के विकास पर निश्चिति ही असर पड़ेगा।
बताया जाता है कि जिले में अनुसूचित जनजाति के अकाल के कारण इसकी रिपोर्ट भी शासन स्तर को प्रेषित की जा चुकी है। बावजूद बीते पंचवर्षीय कार्यकाल से बांसी तहसील के मिठवल व खेसरहा ब्लाक की तीन-तीन ग्राम पंचायतें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की जा रही हैं। इससे इन ग्राम पंचायतों का विकास से नाता ही टूट जाता है।
यूपी सरकार नए आरक्षण फार्मूले में इस बार भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए मिठवल व खेसरहा ब्लाक में छह ग्राम पंचायतों को आरक्षित किया गया है। जबकि इन ब्लाकों में ही नही पूरे जनपद में कोई अनुसूचित जनजाति व्यक्ति नही रहता है। ऐसे में उन ग्राम पंचायतों में अब प्रधान का चुनाव ही नहीं होगा। पिछले बार इन वर्ग में आरक्षित ग्राम पंचायतों में विकास कोसों दूर रह गया। इस बार खेसरहा विकास खंड के ऐचनी, खेसरहा तथा दुबाई ग्राम पंचायत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई है। जबकि इन ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति नही हैं । सवाल यह उठता है कि जब इन ग्राम पंचायतों में एक भी व्यक्ति नहीं है तो चुनाव कैसे होगा।
पिछले पंचायत चुनाव में भी खेसरहा ब्लाक के करही बगही, भूपतजोत तथा नासिरगंज अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित हुई थीं। यह ग्राम पंचायतें प्रधान विहीन रह गई थी। इस बार फिर भी यही होगा। इसी प्रकार मिठवल ब्लाक के साड़ी खुर्द, नदांव व बूढ़ापार ग्राम पंचायत इस बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। पिछली बार मिठवल बुजुर्ग, असनहरा एवं निसहर इसी जाति के लिए आरक्षित हुई थी। चुनाव न होने से यहां के विकास का जिम्मा प्रशासक के पास था। जन प्रतिनिधि न होने से गांवों का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है।