कोरोनाः महानगरों से आने वालों का क्या है हाल? स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच कितनी ?
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। कोरोना के भारत में पांव पसारने के बाद इसके क्रूरतम स्तर तक पहुँचने से बचने के लिए लॉक डाउन किया गया है, जिससे लोग एक दूसरे से न मिलें। इसके माध्यम से सामाजिक और आपसी दूरी बरतने का बेहतर विकल्प अपनाया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि सरार के इस कदम से जिले का कौन तबका, कितना प्रभावित है।
चूंकि दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में ही यह सबसे पहले आया और सैंकड़ों की संख्या में लोगों में यह महामारी फैल चुकी है। तहसील क्षेत्र के हजारों लोग अपनी रोजी रोटी इन्हीं महानगरों से कमाते खाते हैं। ऐसे लोग पिछले कई दिनों से धीरे धीरे अपने अपने घरों पर आ रहे हैं, जो कोरोना के वाहक हो सकते हैं। यह लोग आम लोगों के लिए चैलेंज बने हुए हैं। इनमें से कुछ की जांच कर ली गई है और नए आने वाले लोगों की जानकारी जुटाकर उनका भी चेकअप होना है।
मगर बात यहीं खत्म नहीं ही जाती है क्यों कि कोरोना का असर तीन दिनसे नौ दिन के अंदर दिखने लगता है इसलिए इन आने वाले लोगों को उनके पड़ोसियों, दोस्तों और परिवार के लोगों से 14 दिन दूर रखना है जिसके लिए उन्हें तरीका बताया जाता है जो बहुत जरूरी है आज इन्हीं तथ्यों की पड़ताल के लिए ग्राउंड रिपोर्टिंग करने पर पता चला कि पतियापुर में
इस बीच में एक दर्जन से अधिक लोग इस बीच गांव में आ चुके हैं। वहीं डोहरिया बुजुर्ग गांव में 15 दिन पहले दिल्ली से आये मनोज बृजलाल और मोहन जैसे 10 से 15 लोग आ चुके हैं दो तीन दिन में और लोगों के आने की सूचना है। रिपोर्टिंग के दौरान पता चला कि इनमें से कोई घर पर नहीं था मोहन बांसी ससुराल गए हुए हैं, बृजलाल प्राइमरी स्कूल रखाते हुए मिले। वहीं मनोज के मैच खेलने की सूचना मिली खेलने वाली जगह पर मैच नहीं हो रहा था।
बृजलाल के मुताबिक उनके पास कोई स्वास्थ्य विभाग का कार्यकर्ता जांच के लिये नहीं आया था और न ही बृजलाल ने ही अपना चेकअप करवाया बात बराबर, उन्होंने बताया कि गांव पहुँचने पर ग्राम चौकीदार , आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी उन्हें पूछने नहीं आये थे।एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम को अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से जानकारी जुटाकर उनकी जांच करके उनके घर पर सूचना चिपकानी होती है जिससे लोग उनसे दूरी बरत सकें, लेकिन इसका उल्टा ही हो रहा है। बचाव के बजाए ऐसे लोग मौज मस्ती कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की सीमित संसाधन और सीमित पहुँच बड़े कारण हैं। बहरहाल बी पी एम सतीश कुमार से बात करने पर उनका कहना था कि हमारी टीम ने 100 से ज्यादा लोगों का चेकअप किया गया है। घरों पर सूचना चिपकाने और उन्हें कोरेन्टीन का प्रयास किया जा रहा है।