इटवाः शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्धिवेदी के लिए चुनावी मौसम बेहद चुनौतीपूर्ण और कठिन

December 14, 2021 1:14 PM0 commentsViews: 1028
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हरिशंकर सिंह के भाजपा त्यागने व लवकुश ओझा की टिकट की दावेदारी से भाजपा में हलचल, इनकम्बेंसी का भूत अलग से


नजीर मलिक


सिद्धार्थनगर। प्रदेश की वीआईपी सीट विधानसभा क्षेत्र इटवा में इस बार बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्धिवेदी और सपा नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के बीच आगामी चुनाव में अत्यंत रोचक संघर्ष माना जा रहा था, मगर अब खबरें आ रही हैं कि इटवा में खुद उनकी ही पार्टी के लोग टिकट के संघर्ष के माध्यम से उनके जनाधार को कमजोर करने में लगे हैं। दूसरी तरफ हाल में भ्रष्टाचार के मामले में उनके परिवार के कथित तौर से लिप्त होने को लेकर विपक्ष उसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में लगा हुआ है।

पाठकगण याद करें कि गत माह इटवा सीट से भाजपा के पूर्व प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता हरिशंकर सिंह ने भाजपा छोड़ कर बसपा ज्वाइन कर लिया है। उन्हें अब बसपा से चुनाव भी लड़ना है। जाहिर है कि उनके चुनाव लड़ने पर भाजपा कार्यकर्ताओं का एक (खुनियांव क्षेत्र का) गुट उनके साथ जाएगा। जिससे निश्चित ही भाजपा की क्षति होगी। हरिशंकर सिंह की छवि क्षेत्र में अच्छे नेता की है। सो आम भाजपा समर्थक वोटरों का एक समूह उन्हें निसंकोच समर्थन दे सकता है। हरिशंकर सिंह क बसपा में जाने से शिक्षामंत्री व उनके समर्थकों ने राहत की सांस जरूर ली होगी, परन्तु इटवा में टिकट के एक अन्य प्रबल दावेदार और ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि लवकुश ओझा के सामने आ जाने से उनकी परेशानी टली नही है।

विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि शिक्षा मंत्री सतीश द्धिवेदी के कई विरोधी अपने अपने माध्यमों से उनके परिजनों द्धारा किए गये कथित भ्रष्टाचार के दस्तावेजी सबूत सरकार के प्रभावशाली व टिकट में भूमिका निभाने वाले लोगों तक पहुंचा रहे हैं। स्वयं उनके प्रतिद्धंदी और विपक्ष के कद्दावर नेता माता प्रसाद पांडेय भी उनके द्वारा जमीनों की खरीद में किए गोल माल का मामला और भाई की विश्वविद्यालय में नियुक्ति का प्रकरण जोर शोर से जनता के बीच ले जाने की तैयारी में लगे हैं। इसके अलावा सत्ता के कारण उपजी इनकम्बेंसी का असर भी उनके खिलाफ जा रहा है। इन्हीं सब मुद्दों को आधार बना कर टिकट के दावेदार उनका टिकट कटवाने की जुगत में हैं।

वैसे शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्धिवेदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक के खेमे के हैं। संघ में उनकी अच्छी पकड़ है। इसलिए चुनाव में उनका टिकट कटवा पाना उतना आसान नहीं है जितना की समझा जाता है, मगर कुछ खबरे ऐसी भी आ रही हैं कि भाजपा द्धारा अधिकांश टिकट बदलने की रणनीति बनाई जा रही है। यदि ऐसा हुआ तो उनका टिकट खतरे में पड़ सकता है। वैसे भी सपा ही नहीं एक विपक्षी दल के सर्वे ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इटवा से माता प्रसाद को हरा पाना असंभव नहीं तो अत्यंत कठिन जरूर होगा। इन सब हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिन बेसिक शिक्षामंत्री के लिए बड़े कठिन और चुनौतीपूर्ण होने जा रहे हैं।

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