हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है भागवत कथा- आचार्य दिव्यांशू 

March 31, 2025 5:08 PM7 commentsViews: 88
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अजीत सिंह 

चित्र परिचय.. सदर ब्लाक के ग्राम सुकरौली में संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते कथा व्यास आचार्य दिव्यांशु

सिद्धार्थनगर। भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है, जो हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है और यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया।

उक्त बातें श्री सिहेंश्वरी देवी मंदिर के व्यवस्थापक और कथा व्यास आचार्य दिव्यांशु ने कही। वह सदर ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत महदेवा लाला के सुकरौली गांव में शुरू नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। सुकरौली में कथा की शुरुआत दीप प्रज्वलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ हुई।

श्री सिहेंश्वरी देवी मंदिर के व्यवस्थापक और कथा व्यास आचार्य दिव्यांशु ने भागवत महात्म्य का वर्णन करते हुए भागवत कथा के प्रथम श्लोक से शुरुआत की, जिसमें भगवान को प्रणाम किया गया है। उनके स्वभाव का वर्णन किया। उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत पुराण भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है, जिसका मूल सार भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और मोक्ष प्राप्ति है।

उन्होंने बताया कि जीवन की व्यथा को जो तत्क्षण समाप्त कर दे वही कथा है। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के पावन त्रिवेणी रूपी संगम को भागवत कथा कहते हैं। सुबह में कलशयाला के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ सुकरौली से योगमाया मंदिर जोगिया उदयपुर के समीप नदी से जलभर लाकर कलश स्थापित किया गया।

मुख्य यजमान रामलौट त्रिपाठी, धर्मपत्नी गीता देवी समेत पंडित शारदा पांडेय, पंडित विक्रम शास्त्री, नितिन शास्त्री के अलावा श्रीश श्रीवास्तव, पंकज पासवान, रवींद्र त्रिपाठी, पुष्पा, हर्षित, अनुराधा, रिशू, संस्कार, श्रद्धा, रमेश सिंह, जोगेंद्र, राम अचल, राम प्रसाद, सौरभ त्रिपाठी, बाल्मीकि मिश्रा, जोगी मिश्रा, रोहित सिंह, नीरज त्रिपाठी, प्रदीप कुमार आदि श्रद्धालुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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