बागी सपाइयों कि गिरोह ने कहीं सुषमा चेतन को फंसा तो नहीं दिया, वह हो सकती थीं अपराजेय प्रत्याशी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। इटवा-डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र में संयुक्त रूप से स्थित जिला पंचायत क्षेत्र नम्बर 16 से चुनाव लड़ रही सुषमा चेतन उपाध्याय के चुनावी मैनेजरों ने उन्हें समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदार प्रचारित कर कहीं उन्हें फंसा तो नहीं दिया। वरना सुषमा चेतन जिस परिवार की बहू थीं, वह परिवार सर्व स्वीकार्य था तथा राजनीतिक दलों से इतर उनकी अलग स्थिति थी। वह अगर निरपेक्ष भावना से चुनाव लड़तीं तो सभी दलों के समर्थक मतदाता का वोट उन्हें मिलता। मगर वे राजनीति का शिकार हो गई हैं। ऐसा क्षेत्र में लोग चर्चा करते मिल जाते हैं।
कौन हैं सुषमा चेतन उपायाय?
सुषमा चेतन भनवापुर ब्लाक के पटखौली नानकार गांव की रहने वाली पूरी तरह से गैरराजनीतिक महिला हैं। इनके पति स्व. चेतन उपाध्याय युवा अवस्था में जिले के उभरते कांट्रैक्टर थे। वह बहुत लोकप्रिय और सामाजिक 35 साल के युवा थे। तीन वर्ष पूर्व गांव से थोड़ी दूर पर निजी वाहन दुर्घटना में उनकी दर्दनाक मौत हो गई थी। गैर राजनीतिक होकर भी पांच वर्ष पूर्व वह यों ही जिला पंचायत चुनाव लड़ गये थे और मात्र कुछ वोट से चुनाव हार गये थे। इसके बाद वह अपनी ठेके पट्टे की दुनियां और समाजसेवा में मगन थे।
बहरहाल इस बार के चुनाव में स्व. चेतन की पत्नी सुषमा चेतन अचानक चुनाव लड़ गईं। हालांकि वह हाउस लेडी थीं। उनका चुनाव लड़ना उनका अधिकार है। मगर चुनाव के समय सपाइयों के एक गुट ने उन्हें सपा समर्थित उम्मीदवार प्रचारित कर दिया। बाकायदा इसके लिए डुमरियागंज क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष ने उनके पक्ष में लिखित सूची भी जारी दिया। परन्तु सपा जिलाध्यक्ष लालजी यादव ने पार्टी के तरफ से जो अध्रिकृत लिस्ट जारी की उसमें सुषमा को सपा समर्थित उम्मीदवार नहीं दर्शाया गया। पार्टी जिलाध्यक्ष लालजी यादव ने कहा कि वहां कोई सपा उम्मीद वार नहीं है। यदि कोई होता तो वह पुराने सपाई त्रिभुवन यादव की बहू। प्रियंका यादव होतीं।
सुषमा को लाभ कम नुकसान अधिक?
खैर डुमरियागंज के चंद सपाइयों के इस आचरण के बाद सुषमा का लाभ कम नुकसान ज्यादा हुआ है। सपा जिलाध्यक्ष लालजी यादव व उनके साथियों द्धारा व्यक्तिगत रूप से सपा नेता त्रिभुवन यादव की बहू प्रियंका यादव के समर्थन में खुल कर उतर जाने से क्षेत्र के सपाइयों में यह संदेश फैल रहा है कि सपा का समर्थन सुषमा को नहीं है। दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस समर्थक वोट भी उनसे दुखी है कि वह समाजवादी पार्टी में घुसपैठ में लगी हैं। ऐसे में उन्हें वोट क्यों और कैसे दिया जाए।
अंतिम टिप्पणी का अर्थ
क्षेत्र के मन्नीजोत चौराहा के पास रहने वाले शुभाकर पांडेय व जहीरुल हसन कहते हैं कि स्व. चेतन उपाध्याय के भाई और सुषमा के चुनाव मैनेजर संजय उपाध्याय को साफ एलान करना पड़ेगा कि वे किसी दल के समर्थन से चुनाव में है या निर्दल? लोगों का कहना है कि कुछ सपाई अपना उल्लू साधने के लिए सुषमा को बलि का बकरा बना रहे हैं। इसी प्रकार भाजपा के प्रतिबद्ध वोटर ओम प्रकाश मिश्र कहते हैं कि हम भाजपा के वोटर हैं। लेकिन यदि सुषमा निर्दल लड़तीं तो उन्हें वोट देते। परन्तु उन्होंने समाजवादी साइकिल से रिश्ता जोड़ लिया है दूध दही वाले उनको वोट दें। हम क्यों मदद करें। इस अंतिम टिप्पणी का अर्थ साफ है।