शोहरतगढ़ का अस्ताल खुद बीमार है, इलाज के लिए कुछ करिए स्वास्थ्य मंत्री जी!
क्रासर – सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शोहरतगढ़ पर आज तक सर्जन डॉक्टर की तैनाती नहीं, लगातार कई वर्षों से होती रही है मांग
क्रासर – जनपद के स्वास्थ्य मंत्री होते हुए भी सर्जन डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य महकमा, जाने कब पूरी होगी आस
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। केंद्र और प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भले ही सरकारी खजाना खोल दिया है, मगर सामुदायक स्वास्थ्य केन्द्र शोहरतगढ़ की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। यहां व्यवस्था के नाम पर डाक्टर गायब रहते हैं और व्यवस्था में सुधार के लिए आया सरकारी धन डकार लिया जाता है। हालांकि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इसी जिले के हें। मगर वे इस अस्पताल के इलाज की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कुछ ऐसा ही मामला शोहरतगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी है जहां वर्षों से तैनात तीन तीन डॉक्टर अस्पताल पर आते ही नहीं हैं अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि डॉ आते भी नहीं और तनखाह भी एकाउंट में पहुँच जाती है। बहरहाल सी एच सी शौहरतगढ़ पर वर्तमान में 250 मरीज औसतन हर रोज अपना इलाज करवाने आते हैं पिछले एक माह के रिकॉर्ड के मद्दे नजर 6000 नए मरीजों की संख्या रही है जिनमें पुराने मरीजों की संख्या लगभग 2000 तक है । 177 डिलीवरी हुई है और दो डॉक्टर लगातार मरीजों को देखने का काम करते हैं जो पर्याप्त नहीं।
बावजूद इसके तीन तीन डॉक्टर डॉ अभय भारती , डॉ वैभव गुप्ता व डॉ मनीष सिंह दो से तीन महीने से गायब हैं। जिनकी परमानेंट डयूटी है और मेडिकल ऑफिसर पद पर तैनाती है। बताते है कि तीनों डाक्टर अस्पताल से बहाना बनाकर अक्सर गायब रहते हैं। इनमें से एक डॉ अभय भारती सालों से पी जी आई में भर्ती होने का बहाना बनाकर गायब हैं। स्वाथ्य विभाग के जानकार बताते हैं कि एक डॉक्टर पर अधिकतम 50 मरीज देखने में सक्षम होते हैं ।
अभी पिछले महीने ही व्यवस्था परिवर्तन कर नए चिकित्सा अधिकारी की तैनाती शोहरतगढ़ पर हुई है। तब से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़ा उछाल आया है। जून माह से ही अस्पताल पर हर तरह की दवाइयों की उपलब्धता , साफ सफाई , इमरजेंसी इलाज, कोल्ड चैन रूम की स्थापना सहित बड़ी उपलब्धि हासिल की है । डॉक्टरों के गायब रहने से आने वाले मरीजों के इलाज में आ रही परेशानियों के बारे में चिकित्साधिकारी डॉ पी के वर्मा से बात करने पर बताया गया कि जब से वह यहां तैनात हुए हैं सरकार द्वारा प्रदत्त सभी व्यवस्था अस्पताल पर मुहैय्या कराई गई है मरीजों की भीड़ बढ़ी है पिछले महीने लगभग 8000 मरीजों के साथ 177 डिलीवरी हुई है। तीनों डॉक्टरों की सैलरी रोक दी गई है नए डॉक्टरों की तैनाती के लिए सी एम ओ को कई बार लिखा पढ़ी की गई है। जिलाधिकारी महोदय को भी इस बाबत कार्यवाही के लिए लिखा गया है।
कस्बे के जागरूक सभासद संजीव जायसवाल ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नगर जनपद से आते हैं और उनके गृह जनपद में ही सी एच सी और जिला अस्पताल सहित सर्जन डॉक्टरों की तैनाती नहीं होने से आम जनता को न चाह कर भी प्राइवेट अस्पतालों में सर्जरी से डिलीवरी , आंत और पथरी से संबंधित मरीजों को बीस से पचीस हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
सभासद बाबूजी ने कहा कि एक मजबूत सरकार के होते हुवे भी आज तक सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डॉक्टरों की तैनात नहीं होने से सरकार का नाम खराब हो रहा है जबकि डॉक्टरों की भरमार है उत्तर प्रदेश में । सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रचार प्रसार करना और आयुष्मान भारत जैसी योजना को आगे बढ़ाना गरीब मजदूर को स्वास्थ्य सेवाओं का सही मायने उपलब्धता तब मानी जायेगी जब तक सर्जन डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो जाती है।
बताते चलें कि स्वास्थ्य सेवाओं को बड़े पैमाने पर तभी पहुँचाया जा सकता है जब तक तहसील स्तर के प्रत्येक सी एच सी अस्पतालों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो जाती यदि उत्तर प्रदेश सरकार सर्जन डॉक्टरों की तैनाती कर ले जाती है तो अपने आप में यह पिछले सरकारों की तुलना में जमीन आसमान का अंतर होता दिखेगा आशा है आम जनता की यह मांग सरकार शीघ्र ही पूरा कर सकेगी जिससे गरीब मजदूर को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ सच्चे अर्थों में प्राप्त हो सकेगा।