वाहन से टकरा कर गाय मरणासन्न, गाय की राजनीति करने वाले लापता, अल्पसंख्यकों ने दिया सहारा
निजाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। रविवार दोपहर में बानगंगा पुल पर अक्सर जाम की संख्या में घूम रही गायों को किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दिया। जिससे एक गाय का घायल बुरी तरह घायल हो गई। क्षेत्रीय लोगों खास कर अल्पसंख्यकों द्धारा उसका इलाज के बाद गाय को एक घर में आश्रय मिला है, लेकिन ‘गाय माता’ के नाम से राजनीति करने वालों का पता नहीं है।
बताया जाता है दुर्घटना में गाय का एक पैर टूट गया, तथा और भी चोटे आईं। उस समय एक स्थानीय नेता विरेन्द्र जायसवाल व उनके साथी, नूर मोहम्मद, विरेन्द्र , सुहेल खान, इजहार अली, बाघें भाई, संजय गुप्ता आ रहे थे। तभी सड़क पर उन्हें एक गाय घायल और तड़पती दिखी। सभी ने तुरन्त प्राइवेट पशु चिकित्सक डाक्टर जयप्रकाश श्रीवास्तव को बुलाकर गाय का इलाज कराया। डॉक्टर द्वारा गाय के टूटे पैर पर बैंडज कर उसे इंजेक्शन वगैरा दिया गया जिससे उसकी हालत में सुधार आने पर उसे एक घर में प्रश्रय दिया गया है । लेकिन उपनगर में गाय के नाम पर राजनीति करने वालों का पता नहीं है।
बताते चलें कि यह बेजुबान और छुट्टा पशु रेलवे परिसर के लिए अब आफत बनने लगे है। इनकी संख्या कहीं ज्यादा बढ़ गई है। नेशनल हाईवे तक पर इनका जमावड़ा होने लगा है। कस्बे की शायद ही कोई ऐसी सड़क होगी, जिस पर बेसहारा पशु न दिखाई देते हों। पुलिस पिकेट, गोलघर, भारतमाता चौक, तहसील रोड, सरकारी अस्पताल, धर्मशाला, गड़ाकुल तिराहा, खुनुवा बाईपास, ब्लाक रोड आदि पर इनकी धमाचौकड़ी रहती है। नेशनल हाइवे पर भी इनसे समस्या हो रही है।ॽ
सड़कों पर इधर-उधर घूमने के कारण नगरिक ही नहीं वाहन चालकों को भी परेशानी होती है। ऐसे में किसी के लिए भी संभलकर चलना आसान नहीं रह जाता। इस स्थिति में कई बार हादसे होते-होते बचे है। ग्राम पंचायतों में घूम रहे पशुओं को आश्रय तक पहुंचाने की जिम्मेदारी गो संचालक समिति व ब्लाक की है। वह पुलिस, वनविभाग, पशु चिकित्सा विभाग आदि से सहयोग ले सकते हैं। लेकिन इन्हें गोशाला तक पहुंचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है