प्रेगनेंसी से जन्म तक क्या सावधानी बरतें महिलाएं, बता रही हैं लेडी डाक्टर समीना खान
निज़ाम अंसारी
एक औरत का माँ बनना अपने आप में एक सुखद और आनंदपूर्ण क्षण होता है वहीं परिवार और रिश्तेदारों में भी यह संदेश खुशियों से भर देता है। पर एक औरत के गर्भधारण करने से लेकर एक स्वस्थ्य बच्चे के जन्म होने तक देखभाल और प्रॉपर चेकअप की आवश्यकता भी होती है। आज इसी संबंध में हमारे साथ बातचीत कर रही है शोहरतगढ़ स्थित नवजीवन हॉस्पिटल एंड फ्रैक्चर क्लीनिक की जानी मानी चिकित्सक डॉ समीना खान से बातचीत ।
सवाल… एक औरत को कब गर्भ धारण करना चाहिये?
डा. समीना… अब तो पहले जैसी बात रही नहीं अब लगभग सभी लड़कियों की शादी बीस साल की उम्र में हो जाती है ऐसे में वह कभी भी माँ बनने की तैयारी कर सकती हैं । पहले तो खुद एक औरत को मानसिक रूप से अपने आपको तैयार होना चाहिये औऱ पति से भी विचार विमर्श कर प्लानिंग करके एम सी आने के बाद से लगातार पति के साथ बेहतर संपर्क में रहकर बच्चे को अडॉप्ट किया जा सकता है। खासतौर पर तब जब मेन्स्ट्रूएशन शुरू होता है। वैसे तो कोई महिला जब तक एम सी आ रही है तब तक प्रेग्नेंट हो सकती है लेकिन बीस से तीस साल की उम्र तक स्वस्थ्य बच्चे को पाया जा सकता है। बीस से तीस की उम्र तक पति और पत्नी दोनों ही शारीरिक क्षमता के विकास के महत्वपूर्ण क्रम होते हैं ऐसे में यदि इस दौरान बच्चे को जन्म देने की बात होती है तो यह बहुत ही अच्छा समय है इसे गंवाएं नहीं ।
सवाल… गर्भावस्था के दौरान उल्टियां क्यों होती है?
डा. समीना… प्रेगनेंसी के समय से पहले तीन महीनों में औरतों में उल्टियां दो कारणों से आती हैं पहला ये कि गर्भवस्था ऐसा समय होता है कि शरीर में बहुत तेजी से हार्मोन में बदलाव होता है पेट की मांशपेशियों के संकुचन और आराम करने के तरीकों में बदलाव के कारण मतली और उल्टी होती है।
दूसरा कारण यह है कि भोजन करने के दौरान आपको कोई एक या दो चीजें खाने से मतली का अहसास होता है। मूंह की सफाई से लेकर शरीर की साफ सफाई व साफ कपड़े का पूरा ध्यान न रखने और और घर के वातावरण का अच्छा न होने से भी मतली या उल्टी आ सकती है घबराने की जरूरत नही है उल्टी आना गर्भ धारण करने के लक्षणों में से एक है । नींबू चाटने और पानी पीने नमकीन और बिस्कुट खाने से यह बंद हो जाएगा।
सवाल… गर्भवती औरत को पौष्टिक आहार के साथ क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ?
डा. समीना… गर्भवती महिला को खाने में दाल , अंडा , दूध , मछली , पत्तेदार सब्जियां और सीजन का फल और सलाद जरूर खाना चाहिए जिससे माँ के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को भी पौष्टिकता मिलती रहे। चीनी कम खाएं। अपनी घर की जिम्मेदारियां एक बहु और एक मां के रूप में जो होती है घर की साफ सफाई , खाना बनाना आदि उसे करती रहें जिससे आपके शरीर की सारी मांशपेशियों में गतिशीलता बनी रहती है। गर्भधारण के छठवें महीने से भारी सामान जैसे गैस का सिलेंडर , बाल्टी आदि भारी भरकम सामान न उठाएं।हर महीने अपने लेडी डॉ को दिखाएं बच्चे दानी में हो रहे हलचल को महसूस करें। यदि चार घंटे तक हलचल न हो तो अपने घर के लोगों को जरूर बताएं खुश रहें ।किसी छोटी और बड़ी बात को दिमागी टेंसन न बनाएं।