एक्सीडेंट में दो मासूमों की दर्दनाक मौत, मां रो-रो कर पूछती है- ‘मेरे बेटे समोसा लेकर कब आएंगे’
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जैद और रजा की उम्र में दो साल का फर्क था, लेकिन चचेरे भाई होने के साथ-साथ दोनों दोस्त की तरह से थे। उन्हें गांव वाले अकसर मजाक में शोले फिल्म के पक्के दोस्त जय और बीरू कह कर पुकारते थे। वे दोनों समोसा लेने की बात अपनी अपनी मां से कह कर निकले थे। मगर किसी को क्या पता था कि शुक्रवार को समोसा लेकर आने की बात कह घर से निकले दोनों बालक कभी घर नहीं लौट पायेंगे और समोसा लाने की यह जिद उनको मौत के मुंह में झोक देगी। दोनों की मांए अभी भी दोनों बेटों की समोसे के प्रति प्रेम की दुहाई देकर अभी भी दहाड़ें मार कर रो रही है। रोती हुई वह बारम्बार कहती हैं कि मेरे बेटे समोसा लेकर कब आएंगे?
इटवा क्षेत्र के बढय़ा गांव निवासी आठ साल के रजा पुत्र अब्दुल सलाम और छः साल के जैद पुत्र जफर चचेरे भाई थे। दोनों के पिता सगे भाई हैं। दोनों की उम्र के बीच दो साल का अंतर है। लेकिन दोनों भाई के साथ-साथ एक अच्छे दोस्त की तरह से रहते थे। रजा के अलावा उसकी एक बहन है। जबकि जैद तीन भाई हैं। परिवार के लोगों के मुताबिक कुछ भी खाते तो दोनों साथ खाते। गांव के एक मदरसे में अभी दोनों ने जाना शुरू किया था। साथ आते और जाते थे। जानकार कम थे, लेकिन कपड़े एक जैसे पहनने की कोशिश करते थे। दोनों को साथ देखकर परिवार के लोग बहुत खुश रहते थे।
शुक्रवार को भी रजा और जैद दोपहर को समोसा लेने के लिए जिद करके गांव के बाहर चौराहे पर गए थे। गांव के लोगों के मुताबिक वह अक्सर निकल जाते थे। पिता जफर ने बताया कि उन्हें लगा जाकर चले आएंगे, लेकिन यह पता नहीं था कि अब कब लौटेंगे। बहरहाल वह समोसा लेकर लौट रहे थे कि तेजी से आती हुई एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी।
कार की टक्कर लगने की सूचना घर वालों को मिली तो उनके होश उड़ गए। मौके पर पहुंचे तो खून से लथपथ देखकर कलेजा कांप उठा। दोनों मरणासन्न बच्चों के बगल मेंखून से लबरेज समोसा बिखरा पड़ा हुआ था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कार बहुत स्पीड में थी। बच्चों को कुचलने के बाद रुकी नहीं और सड़क से उतरकर खेत में चली गई। हादसे के बाद बच्चे मिट्टी से ढक गए, लोग भाग कर मौके पर पहुंचे तो दोनों खून से लथपथ होकर कराह रहे थे।
परिजन दोनों को लेकर अस्पताल भागे मगर पहुंचने से पहले जिला अस्पताल उनकी सांसें रास्ते में ही टूट गईं। मगर फिर भी एक अनहोनी उम्मीद लेकर वे जिला अस्ताल में पहुंचे जहां डाक्टरों ने उन्हें औपचाारिक रूप में मृत घोषित कर दिया। इसके बाद से ही पिता के साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है। एक साथ दो मासूम बच्चों की मौत से गांव में गम का माहौल है। घर पहुंचने वाले हर व्यक्ति की आंखें परिवार को बिलखता देकर नम हो जा रही थी। उस वक्त तो माहौल और गमगीन हो जाता है जब उनकी बिलखती मातायें रो रो कर पूछती हैं कि मेरे बेटे समोसा लेकर कब लौटेंगे?