उत्तर प्रदेश में पुलिसिया आतंक के नौ दिन

December 26, 2019 12:33 PM0 commentsViews: 438
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मनोज सिंह

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में हो रहे आंदोलन में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें गोलियां लगी हैं. हालांकि प्रदेश सरकार और पुलिस ने फायरिंग की बात से इनकार किया है. पुलिस का कहना है कि इन लोगों की मौत क्रास फायरिंग में हुई है.

23 दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में 174 मुकदमे दर्ज कर 705 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. कथित तौर पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखने पर 81 मुकदमे दर्ज कर 120 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. डीजीपी मुख्यालय के अनुसार 23 दिसंबर तक कुल 1786 ट्विटर, 3037 फेसबुक, 38 यूट्यूब पोस्ट पर कार्रवाई की गई है.

21 दिसंबर को आईजी लॉ एंड आर्डर ने बताया कि सीएए आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 4500 लोगों को निजी मुचलके पर पाबंद किया गया है. उन्होंने बताया कि अब तक 263 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं जिसमें 57 पुलिस कर्मी को बुलेट इंजरी आई है. हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में 405 खोखा कारतूस बरामद हुए है.

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन 17 दिसंबर से ही शुरू हो गए थे लेकिन 19 दिसंबर को देशव्यापी विरोध के दौरान हालात बिगड़ गए. अगले चार दिनों में यूपी के एक दर्जन से अधिक जिलों में बड़े प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन को रोकने के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जगह-जगह टकराव हुआ.

लखनऊ में 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में मीडिया की दो ओवी वैनों में आग लगा दी गई. दो पुलिस चौकियों में भी आग लगा दी गई. कुछ और वाहनों में आगजनी व तोड़फोड़ हुई. इसी दौरान गोली लगने से मोहम्मद वकील की मौत हो गई. परिजनों के अनुसार वकील राशन और दवा लेने गए थे जब पुलिस फायरिंग में उन्हें गोली लगी. तीन अन्य जख्मी लोगों को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया जिनका इलाज चल रहा है.

वाराणसी में 20 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में आठ वर्ष के एक बच्चे की मौत हो गई हालांकि पुलिस ने बच्चे की मौत को भगदड़ में होना बताया है.

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय द्वारा स्थापित हेल्प लाइन पर अब तक पूरे प्रदेश में 26 लोगों की मौत की सूचना दी गई है. कांग्रेस नेता दिनेश सिंह ने बताया कि लोगों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार कानपुर देहात में 3,  कानपुर शहर में 2, मुजफ्फरनगर में 6, फिरोजाबाद में 2, संभल में 4, मेरठ में 3, वाराणसी व लखनऊ में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है. संभल में दो लोगों की भगदड़ के दौरान नाले में गिरने से मौत हुई. शेष लोगों की मौत गोली लगने से बताई जा रही है.

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिजनौर में गोली लगने से मरे दो लोगों के परिजनों से 22 दिसंबर को मुलाकात की. यहां पर मोहम्मद सुलेमान और अनस नाम के दो नौजवानों की मौत हुई है. प्रियंका गांधी ने प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों की जांच की मांग करते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों ने जब पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की तो उन्हें धमकी दी गई कि उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया जाएगा. प्रियंका गांधी ने प्रदेश में “पुलिसिया हिंसा” में लोगों की मौत होने का आरोप लगाया है. उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा कि आदित्यनाथ सरकार बर्बर दमन व हिंसा कर रही है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी यही आरोप लगाया है. उन्होंने 22 दिसंबर की प्रेस कॉन्फ्रेस में आरोप लगाया कि “पूरे सूबे में अब तक करीब दो दर्जन लोग पुलिसिया हिंसा में मारे जा चुके हैं. हापुड़, बिजनौर, रामपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ समेत अन्य जिले जहां पर हिंसा की खबरें आईं हैं वहां पर तत्काल न्यायिक जांच होनी चाहिए.”

 

 

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