डुमरियागंज सीटः मुस्लिम मतदाता सर्वाधिक, पिछडा वर्ग का नम्बर दूसरा, सवर्ण सबसे कम

April 25, 2019 3:46 PM0 commentsViews: 2053
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— 29.88 प्रतिशत के हिसाब से कुल मुस्लिम वोटरों की संख्या 5 लाख 60 हजार, पिछड़े वोटर पौने चार लाख

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज संसदीय सीट पर कुल मतदाताओं की 18 लाख 64 हजार 4 सौ 64 है। इनमें किस जरति के कितने मतदाता हैं, यह लिखने से पहले स्पष्ट कर देना है कि मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्ग का प्रतिशत तो सरकारी सूचना पर आधारित है। इसके अलावा शेष बचा वोटअपने आप स्परूट हो जाता है, जिसमें सवर्ण जातियों का आंकड़ा निजी श्रोतों और जानकारियों के आधार पर है। सवर्एा जातियों का अधिकत आंकड़ा कभी तैयार ही नहीं किया गया।

इस सीट पर 5.60 लाख हैं मुस्लिम वोटर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार डुमरियागंज के मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 29.88 है। इस लिहाज का इस सीट के 18.64 लाख वोटरों में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद सबसे अध्रिक यानी 5.60 लाख है। यहां यह बता देना जरूरी है कि उनमें लगभग एक लाख मतदाता मुम्बई जैसे कई महानगरों में प्रवास करते हैं। इसलिए डुमरियागंज सीट पर मुस्लिम वोटिंग का प्रतिशत औसत से कम होता है।

दलित मतदाता लगभग साढ़े तीन लाख

इसी सीट पर सरकारी सूचना के अनुसार दलित आबादी 19 प्रतिशत मानी गई है। अबादी के लिहाज से संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में इनकी तादाद लगभग 3 लाख 50 हजार बैठती है। जबकि पिछड़ों की आबादी 32 फीसदी है, इस हिसाब से यहां पिछड़ा वर्ग का मत 5 लाख 80 हजार बैठता है।लेकिन पिछड़ी जातियों में यादव 9 फीसदी माने गये है। इस लिहाज से यादवों का कुल वोट 1 लाख 62 हजार है इसके बाद लगभग 70 हजार कर्मी मतदाता है। शेष पिछड़ा वर्ग की अन्य  जातियां हैं। इनमें भी लगभग 70 हजार वोटर महानगरों में रहते हैं।

क्या है सवर्ण वोटरों की स्थिति

हालांकि शासन की ओर से सवर्ण जातियों के बारे में काई अधिकुत जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन 30 फीसदी मुस्लिम, 32 फीसदी पिछडा वर्ग और 19 फीसदी यानी कुल 81 फीसदी मतों को निकालने के बाद कुल 19 फीसदी मत बचते हैं। इनमें से सिख, इसाई, बंगाली आदि मतों की आबादी लगभग एक प्रतिशत ही हो सकती है। इस प्रकार जिले में सवर्ण वोटों का प्रतिशत कुल 18 प्रतिशत ही बचता है।

इन 18 फीसदी मतों में अनुमान लगाया जा रहा है कि ब्राह्मण मतों की तादाद सर्वाधिक है। जो अनुमानतः लगभग 9 प्रतिशत है। इस हिसाब से इनका वोट शेयर लगभग 1.60 लाख है। इसमें वैश्य लगभग 70 हजार, कायस्थ लगभग सवा लाख हैं।

कागज पर गठबंधन का 58 फीसदी मत पर दावा

ऐसे में इस चुनाव में कागजों पर गठबंधन मजबूत दिखता है। 30 प्रतिशत मुस्लिम, 19 फीसदी दलित और 9 फीसदी यादव, यानी 58 फीसदी मतों का बड़ा रुझान गठबंधन के पक्ष में और 42 फीसदी मतों में बड़ा रुझान भाजपा के पक्ष में दिखता है।  लेकिन भूलना नही चाहिए कि मुस्लिम, सवर्ण मतों में कांग्रेस की भी साझेदारी है। इसके अलावा पीस पार्टी मुसलमानों में कितनी सेंधमारी करेंगी और भाजपा से अलग होने वाली भासपा ओबीसी में कितना प्रभाव डालेगी, यह स्पष्ट होते ही चुनाव के फैसले का अनुमान हो जाएगा। तब तक बनाए रखिए कपिलवस्तु पोस्ट पर नजर।

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