शिशु मंदिर शिक्षा ही नहीं, गुण शील व संस्कार की पाठशाला भी है़- योगेन्द्र प्रताप सिंह
अनीस खान
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। सरस्वती शिशु एवं विद्यामंदिर श्रृंखला के विद्यालय अपने यहां केवल पारम्परिक शिक्षा ही नहीं देते, वरन आपके पाल्यों को संस्कार व राष्ट्र प्रेम से जुडी शिक्षा भी देते हैं। इसलिए ही इनको स्कूल न कह कर शिशु और विद्यामंदिर कहा जाता है। ये विद्यामंदिर देश की अमूल्य निधि हैं।
ये बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और हिदुत्व के उत्थान से जुड़े शोहरतगढ़ राजघराने के सदस्य राजा योगेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ बाबा साहब ने कहा। वे बीती रात सरस्वती शिशु एवं विद्या मंदिर के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उनके साथ राजपरिवार के कुंवर धनुर्घर सिंह भी थे।
राजा योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज स्कूलों में जो पढाई होती है उसका सेवा क्षेत्र में ही महत्व है। लेकिन हमारे विद्यामंदिर केवल शिक्षा का सर्छीफिकेट ही नहीं देते, वरन बच्चों को शील, संस्कार, मानवीयता व देश प्रेम का पाठ पढ़ा कर उन्हें सच्चा मनुष्य भी बनाते हैं। इसलिए हमे बच्चों को इन विद्यलयों में ही नामांकन कराना चाहिए।
राजा साहब ने कहा कि संघ संचालित ये स्कूल वास्तव में मानवता व राष्ट्र की सेवा के लिए ही स्थापित किये गये हैं। इसलिए लोगों को इन शिक्षा मंदिरों को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद करनी चाहिए। इससे पूर्व विद्यालय के छा़त्र छात्राओं ने अनेक शिक्षा प्रद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। इस मौके पर संघ के विभाग प्रचारक सुरजीत जी, विपुल सिंह, विद्यालय प्रधानाचार्य अवधेश श्रीवास्तव, पंकज श्रीवास्तव व हियुवा नेता व नगर पंचायत चेयरमैन सुभाष गुप्ता सहित शहर के अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।