बृजमनगंज में कोविड-19 के नाम पर राजनीति, कस्बावासियों का जीना मुहाल
शिव श्रीवास्तव
महाराजगंज। बृजमनगंज का यह पुराना तर्क है कि इस कस्बे के विकास में बाधा यहां के नेतागण ही रहे हैं। चाहे वह जिला परिवर्तन का मामला हो या हाईवे रोड का मामला। ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का और अब तत्काल में बाजार खुलवाने का हो। हर वक्त यह नेता गण अपने निजी फायदे के लिए कस्बावासियों को छलते आए हैं। इस बार इन्हीं नेताओं ने रोना के नाम पर गंदी राजनीति कर कस्बेवासियों का जीना मुहाल कर रखा है।
गत 6 जून को बृजमनगंज के एक अध्यापक अनूप मणि त्रिपाठी घर के 5 सदस्य सहित कोरोना पाजिटिव पाये गये और उन्हें इलाज के लिए प्रशासन ने कोरोना सेंटर भेज दिया। कुछ दिन माहौल शांत रहा। इसके उपरांत एसडीएम फरेंदा ने औचक निरीक्षण करते हुए 14 दिनों के लिए मार्केट को पूरी तरह से सील करने का आदेश दे दिया और नेतागण चुप्पी साधे रहे। अचानक 16 जूलाई को व्यापारी नेताओं का व्यापारी प्रेम जागा और वे व्यापायों में यह साबित करने लग गये कि वे ही उनके सुख दुख के साथी हैं।
जैसे-जैसे मार्केट खुलने के दिन नजदीक आ रहे हैं, कुछ व्यापारी नेताओं के बीच पब्लिक के दिलों में जगह बनाने का रणनीत चालू हो गई है। वे इस सोच में व्यस्त हैं कि उनका अगला दांव कैसा हो, जिससे कि कस्बे में उनका सिक्का चल जाए और कस्बावासी उनकी जय-जयकार करने लगे। अधिकारी भी इन लोगों से परेशान हैं। उन्हें चिंता है कि यदि कस्बे में जरा भी ढील दी जाएगी तो यहां का माहौल बिगड़ सकता है। फलतः कस्बा वासियों पर प्रशासन की सख्ती और तेज हो गई है। पहले जो लोग किसी तरह काम धाम कर जी लेते थे, अब उन्हें रोटियों के लाले पड़ गये हैं।
20 जुलाई को कुछ व्यापारी नेताओं ने बाजार को पहले खुलवा कर हीरो बनने का प्रयास करना चाहा, जिसके उपरांत थाना बृजमनगंज द्वारा कड़ाई से पेश आते हुए इन नेताओं को भगाने का काम किया। प्रशासन ने हर जगह एनाउंस कराया गया की सब अपनी संस्थान या दुकान बंद रखें, अन्यथा कार्रवाई हो सकती है। इसके साथ कस्बे में गैरजरूरी सख्ती बढ़ा दी गई।
इतना होने के बावजूद भी 21 जुलाई को भी यहां के कई नेता गण एसडीएम फरेंदा के कार्यालय पहुंचकर वहां पर वार्ता करते हुए वीडियो और फोटो लेकर सोशल मीडिया के जरिए सियासी चाल चलने मैं लगे हैं।
फिलहाल हमेशा की तरह यहां के नेताओं ने कस्बा वासियों को दुबारा छलते हुए इनकी दिन रात की चैन छीन लिया है। लोग सशंकित हैं की इनकी वजह से लोगों भूखे न मरने लगें। एक व्यापारी ने बताया कि लोकल नेताओं की राजनीति के चक्कर में हम लोग पीसे जा रहे हैं। बहुत हो गया अब सहा नहीं जा रहा है, बस करें और अब अपनी राजनीति बंद करें। डर है कि कहीं उनकी राजनीति हमारी परेशानी आर न बढ़ा दे।