नेताओं और वर्करों को एकजुट करने में विफल दिख रहे कांग्रेस प्रत्याशी डा. चन्द्रेश
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज संसदीय सीट पर मतदान होने में अब पखवारे भर से कम समय रह गया है, मगर कांग्रेस प्रत्याशी डा.. चन्द्रेश उपाध्याय अभी तक कांग्रेस के कई नेताओं और वर्करों का समर्थन पा सकने में विफल साबित हो रहे हैं। अनेक कांग्रेसियों का कहना है कि इस तरह से चुनाव जीतने की कल्पना तक नहीं कि जा सकती है।
बताया जाता है कि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार डा.. चन्द्रेश उपाध्याय को वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद मो. मकीम के खेमे का ही खुल कर समर्थन मिल रहा है, लेकिन अन्य कांग्रेसी अभी भी अपने घरों में कैद हैं, उन्हें साथ लेने की कोशिशें क्यों नहीं की जा रहीं, यह समझ ये परे है।एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने बताया कि किंकर्तव्यविमूढ हैं। प्रत्याशी उन्हें कोई जिम्मेदारी देना तो दूर फोन तक नहीं कर रहे।
कांग्रेसे के एक खेमे के भरोसे हैं डा.चन्द्रेश
खबर है कि डा. चन्द्रेश उपाध्याय के टिकट मिलने के बाद से उनके ब्राहमण नेता अपने घरों पर बैठे हैं। मिसाल के तौर पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक ईश्वर चंद शुक्ल अभी तक पार्टी प्रत्याशी के प्रचार से मंह मोडे हुए हैं। कांग्रेस के पूर्व एआईसीसी मेंबर व पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री रहे वरिष्ठ नेता नर्वदेश्वर शुक्ला भी घर पर बैठे हैं, उनकी सेवाएं नहीं ली जा रही है। इसके अलवा पुराने नेता पंडित राम मणि मालवीय, पाऊ पांडेय जैसे वरिष्ठ लोग चुनाव से अलग थलग हैं। कांग्रेस नेता सच्चिदानंद पांडेय जरूर खुल कर उनके साथ खड़े हैं।
— मस्लिम भी काट सकता है कन्नी?
डा. चन्द्रेश की चुनावी सफलता कांग्रेस के परंपरागत वोटों के साथ मुस्लिम और ब्रह्मण मतों पर निर्भर है। लेकिन अगर वह ब्राह्मण वोटों की शक्ति न प्रदर्शित कर पाये तो मुस्लिम वोट भी उनसे कन्नी काट सकता है, इसलिए जरूरी है कि वह ब्रह्मण चेहरों को आगे रख कर अपनी रणनीति बनाएं, वह अभी तक ऐसा महसूस करा पाने में सफल नहीं हो पा रहे।
कुछ खास लोगों से घिरे हैं काेस प्रत्याशी
कांग्रेस नेता डा. रमेश चौधरी कहते हैं कि टिकट पाने से पूर्व भाजपा में रहने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी को कांग्रेस वर्करों के बारे में पता नहीं। वह कुछ खास लोगों से धिरे है, इस वजह से कांग्रेस के लोग सक्रिय नहीं हो पा रहे। कांग्रेस नेता राम मणि मालवीय भी कुछ ऐसा ही बताते हैं। इनका कहना है कि वक्त कम है, अगर समझदारी से काम नहीं लिया गया तो कांग्रेस का बंटाधार होना तय है।