vip seat– इटवाः भाजपा दिखने लगी है मुकाबले में, चौंका सकते हैं चुनावी नतीजे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर (यूपी) जिले की इटवा सीट यूपी में वीआईपी सीट का दर्जा रखती है। भाजपा के टिकट की घोषणा के बाद यहां भाजपा बहुत कमजोर दिखती थी, लेकिन भाजपा में असंतोष समाप्त होने के साथ यहां से पार्टी उम्मीदवार सतीश चन्द्र द्धिवेदी अब मुख्य मुकाबले में आते दिख रहे हैं। अब इस सीट पर त्रिकोण मुकाबले से चुनाव रोचक होता जा रहा है।
याद रहे कि पखवारा भर पहले भाजपा के जमीनी नेता हरिशंकर सिंह काअिकट कटने के बाद यहां विद्रोह की स्थिति पैदा हो गई थी। हरिशंकर सिंह ने बगावत कर आरएलडी का झंडा थाम लिया था, मगर उनकी पार्टी में वापस लाने में भाजपा कामयाब रही। हरिशंकर सिंह के चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद उनकी मजबूत लाबी पुनः भाजपा के लिए सक्रिय हो गई है।
इसके अलावा टिकट की एक अन्य दावेदार व पूर्व सांसद रामपाल सिंह की बहूएवं उनके पति ज्ञान प्रकाश सिंह व एक अन्य दावेदार शिवनाथ चौधरी भी पूरी ताकत से उनके समर्थन में उतर आए हैं। इससे भाजपा कार्यकर्ता के हौसले काफी बुलंद हो गये हैं और वे जोर शोर से जनसम्पर्क में लग गये हैं।
कड़ी लड़ाई में हार सकती है सपा
यहां का चुनावी इतिहास गवाह है कि इटवा में जब भी कठिन और त्रिकोणीय मुकाबला हुआ है, तो सपा यहां कमजोर हुई है। सन 1991, 93 व 96 के चुनाव इसके उदाहरण है। 91 और 96 में मो. मुकीम 93 में भाजपा से स्वयंवर चौधरी की जीत यह साबित करती है कि इस क्षेत्र में जब भी भाजपा मजबूत होती है, तो चुनाव नतीजा सपा के खिलाफ जाता है।
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार और विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद की जीत सुनिश्चित तभी होती है, जब भाजपा कमजोर होती है। गत चुनाव में सपा की जीत तभी हुई जब भाजपा उम्मीदवार मात्र 15 हजार व सन 2002 के चुनाव में 20 हजार वोटों पर सिमट गया। इस बार भाजपा में जिस तेजी से एकजुटता बढ़ी है और उसके उम्मीदवार के पक्ष में जिस तरह सजातीय मतों का रुझान बढ़ा है, उससे चुनाव के दिलचस्प होने के आसार हैं।
त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
इटवा में पहले माना जा रहा था के सपा के माता प्रसाद पांडेय और बसपा के अरशद खुरशीद में सीधी लड़ाई होगी, इस हिसाब से सपा काफी मजबूत मानी जा रही थी। लेकिन अब भाजपा द्धारा बराबरी की टक्कर देने से हालात बदल गये हैं। बसपा के अरशद खुरशीद की मुसलमानों में ताकत बढी है, इससे भी सपा के प्रभावित होने के आसार हैं। ऐसे में चुनाव नतीजा काफी रोमांचक हो जाए तो ताज्जुब नहीं।