जिला पंचायत वार्ड संख्या 16 के दिग्गजों में कांटे की टक्कर, अभी चुनावी हवा का रुख स्पष्ट नहीं
जीतने के बाद भविष्य में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदार हो सकती हैं प्रियंका यादव
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज़़-इटवा विधानसभा क्षेत्र के दोनों हिस्सें में फैले हुए जिला पंचायत वार्ड संख्या 16 में चुनाव संघर्ष बहुत मायनेखेज स्थिति में है। अनारिक्षित वर्ग के इस क्षेत्र के लगभग आधे गांव डुमरियागंज और आधे से अधिक गांव भनवापुर विकास खंड में शामिल हैं। यहां का संघर्ष अत्यंत रोचक और समीकरणों पर निर्भर है। क्योंकि यदि अंतिम क्षणों में भी समीकरणों में तनिक बदलाव हुआ तो तो किसी की भी जीती बाजी दूसरे पक्ष में पलट सकती है।
वैसे तो इस क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार हैं, मगर असली चेहरे केवल चार ही है और सारी लड़ाई इन्हीं चारों के इर्द गिर्द उलझी हुई है। यहां से सपा नेता त्रिभुवन यादव की बहू प्रियंका यादव और नामी ठेकेदार रहे स्व. चेतन उपाध्याय की पत्नी सुषमा उपाध्याय बरसरे मुकाबिल है। प्रियंका यादव के पति अंशु यादव इंजीनियर हैं। प्रियंका यादव जीतने पर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की दावेदार भी हैं, ऐसी क्षेत्र में व्यापक चर्चा है। लेकिन बताया जाता है कि क्षेत्र के एक सपा नेता प्रियंका के खिलाफ लड़ने वाली एक अन्य प्रत्याशी को जबरन सपा उम्मीदवार प्रचारित कर समाजवादियों के सामने संकट खड़ा करने का काम किया है। जबकि सपा जिलाध्यक्ष प्रियंका के पक्ष में प्रचार करने भी जा चुके हैं।
इसके अलावा एक अन्य युवा नेता रमजान अली लड़ रहे हैं। वह गांव के प्रधान भी रहे हैं और ब्लाक प्रमुख की राजनीति में वह हियुवा नेता व ब्लाक प्रमुख के पति लवकुश ओझा के साथी के रूप में काफी अनुभवी हैं। इन दोनों की दोस्ती हमेशा सुर्खियों में रहती है। इसके अलावा भाजपा नेता संजय मिश्र भी मैदान में हैं। हिंदूत्वादी राजनीति ही उनका अपना जनाधार है और वह यकीनन इस संघर्ष के तीसरे कोण बने हुए हैं। कुल मिली कर आधोदर्जन से अधिक प्रत्याशियों में बीच शुरूआती लड़ाई इन्हीं चारों उम्केमीदवारों के बीच में देखी जा रही है।
लगभग 38 हजार मतदाताओं वाली इस सीट पर ब्राहमणों के बाद मुस्लिम सर्वाधिक मत में हैं। इसके बाद दलित आते हैं। क्षेत्र के राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जिस प्रकार ब्राहमण मत विभाजित है उसी प्रकार मुस्लिम मत भी बंटा हुआ दिखता है। मुस्लिम मत पहले नम्बर पर प्रियंका के पक्ष में उसके बाद रमजान व सुषमा के पक्ष में दिखता है। इसी प्रकार ब्राहमण मत भापाजा प्रत्याशी व सुषमा उपाध्याय के पक्ष में बंटा है। जानकारों का मानना है कि अगर एक सप्ताह में रमजान मुस्लिम के अलावा अपनी ओर अन्य जातियों का मत न ला पाये तो भाजपा को हराने के लिए अंतिम क्षणों में मुस्लिम मत सपा नेता त्रिभवन यादव की बहूं प्रियंका के पक्ष में जा सकता है। इसी प्रकार ब्राहमण मत भी अंतिम समय में भाजपा प्रत्याशी व सुषमा उपाध्याय में से जिनको कमजोर समझेगा उसकी तरफ से भाग कर मजबूत पक्ष की ओर जाएगा।
इस प्रकार इस चुनावी रण का अंत बेहद दिलचस्प होने वाला है। भागमभाग और पाला बदल वाली लड़ाई अंत तक चतुष्कोणीय रहेगी या त्रिकोण अथवा सीधे संघर्ष में बदलेगी, यह चार दिनों में स्पष्ट होने लगेगा, क्यों कि आधा मतदाता अभी भी खामोश रह कर हवा का रुख भांपने में लगा है। त्रिभुवन यादव कहते हैं कि क्षेत्र में दशकों का उनका सेवाभाव लोगों के दिल में है। समाजवादी पार्टी में रह कर उन्होंने तमाम लोगों का सहसोग एवं सेवा किया है। इसलिए आखिर में जीत उनकी बहू प्रियंका की ही होगी, मगर असली जीत तो समाजवादी पार्टी की ही मानी जाएगी।