विश्व पर्यावरण दिवस- घट रही हैं सांसे, हर व्यक्ति लगाए वृक्ष
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। जेसे-जैसे शहर विकसित हो रहे हैं, हरियाली कम होती जा रही है। हर साल प्रदूषण के मामले में बढ़ोतरी हो रही है। नवंबर-दिसंबर माह में प्रदूषण की वजह से मौत के आंकड़े भी बढ़ जाते हैं। यदि हम अभी से नहीं चेते तो आने वाले कुछ सालों में साफ हवा में सांस लेने के लिए सिर्फ पहाड़ और जंगल ही बचेंगे। प्रदूषण लगातार हमारी सांसें कम कर रहा है। पैदा होने वाले बच्चों पर इसका असर भी दिख रहा है। आज विश्व पर्यावरण दिवस है, ऐसे मौके पर हम सभी को ऐसा प्रण लेना चाहिए जो आने वाली पीढ़ियों को साफ सुथरी हवा देने में मददगार हो सके।
पर्यावरण की विस्फोटक स्थित पर नगर पंचायत शोहरतगढ़ पर एक गोष्ठी का आयोजन कर आम नागरिकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने की कोशिश की गई। इस दौरान बैठक में शोहरतगढ़ इंवॉयर्मेंटल सोसाइटी के फाउंडर डा. वी. सी. श्रीवास्तव ने बताया कि हर नागरिक को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना ही पड़ेगा और घर में एक पौधा लगाने और उसके संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्पित होना होगा तब जाकर अगले दस वर्षों में हम अच्छी स्थित में हो पाएंगे।
गोष्ठी को संबोधित करते हुवे देवी पाटन मंडल प्रभारी सुभाष गुप्ता ने कहा कि वह अपने नगर पंचायत में समस्त खाली पड़ी जमीनों पर वृक्ष लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर साथ ही साथ संरक्षण पर भी जागरूकता फैलाने का काम करेंगे।
अंत में गोष्ठी को एस. पी. डी. सी. महाविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफेसर अरविंद सिंह पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नौगढ़ एस. पी. अग्रवाल व वीरेंद्र श्रीवास्तव ने लोगों को संबोधित किया। गोष्ठी के दौरान नगर पंचायत अध्यक्ष बबिता कसौधन के साथ सभासद अफसर अंसारी, बाबूजी, रवि अग्रवाल, मनोज गुप्ता, लालजी गौड़, अवधेश कुमार सहित कस्बे के गड़मान्य नागरिक विजय परसुरामका, श्याम सुंदर पोद्दार, दसरथ बाबू सहित लोग उपस्थित रहे।
बताते चलें कि अब तक पर्यावरण से संबंधित सभी प्रयास सरकारी स्तर पर ही होते रहे हैं जिनकी कार्य प्रणांली संदेह में रही है और आज तक करोङों पौधे लगाए जाने के बाद भी वन क्षेत्र का दायरा बढ़ा नहीं है। अब जरूरत है कि प्रत्येक व्यक्ति को पेड़ लगाने के लिए सहायता राशि हर पेड़ लगाने वाले को सीधे उसके खाते में देने के साथ वर्षों तक उसकी निगरानी जिओ टैगिंग के बिना वृक्ष लगाना पैसों की बरबादी के सिवाय कोई मतलब न निकला है और न ही निकलेगा।