पर्दे के पीछे की खबरः जिला अस्पताल में कथित रूप से पीटे गये युवा नेता, आखिर सच्चाई क्या है?
विशेष प्रतिनिधि
सिद्धार्थनगर। जिला अस्पताल सिद्धार्थनगर में रविवार की रात एक राजनीतिक संगठन से जुड़े कुछ युवा नेताओं की कथित तौर पर जम कर धुलाई की गई। हालांकि प्रत्यक्षदर्शी इस घटना को आंखों देखाहाल क्रिकेट की कमेंटरी की तरह से बता रहे हैं, परन्तु मुकामी पुलिस इस दावे से इंकार कर रही है। इस घटना की आसपास में व्यापक रुप से चर्चा है। बताते हैं कि मामला सत्ताधारी वर्ग से जुड़ा होने के कारण पीटे गये नेतागण शर्म के कारण सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। परन्तु सवाल है कि आखिर इस घटना की सच्चाई क्या है?
बताया जाता है कि रविवार की रात 11 से 12 बजे के बीच यह घटना घटी। कहते हैं कि भाजपा सम्बंधी एक छात्र संगठन के एक नेता और एक चिकित्सक के बीच कुछ विवाद हो गया था। आरोप है कि उस युवा डाक्टर ने उस नेता के ऊपर हाथ भी चला दिया था जिससे क्षुब्ध परिषद के कई कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गये थे। मामला सत्तापक्ष से सम्बंधित होने के कारण संवेदनशील समझ कर कुछ लोगों ने डाक्टर को माफी मांगने पर राजी कर लिया।
बताया जाता है कि रात में अस्पताल के इमरजेंसी सेक्शन में जब डाक्टर गुप्ता ने माफी मांगना मान लिया तो कुछ लोग पैर छूकर माफी मांगने पर अड़ गये। इस पर भी जब डाक्टर मजबूर होकर माफी हेतु पैर छूने के लिए झुके तो पीछे खड़े कुछ युवा नेताओं ने उनकी पीठ पर मुक्कों से प्रहार कर दिया। कहते हैं कि इससे मौके पर खड़े पुलिस के कुछ जवानों को सहन नहीं हुआ और उन्होंने उन युवकों की पिटाई कर दी। जिसमें अस्पताल के कुछ लोगों ने भी हाथ साफ कर दिया।
इसके बाद मीडिया ने इस घटना की छानबीन करनी शुरू की तो मामला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक नेता नित्यानंद शुक्ल से जुड़ा निकला। जिनके और डाक्टर के बीच विवाद हुआ था। जिले के कई समाचार पत्रों ने इस विवाद समझौता होने के प्रयास तक की खबर को प्रकाशित भी किया। परन्तु रात में 11 और 12 के बीच माफी मांगने के दौरान यह घटना भी हो गई। जिसे मीडिया नहीं जान सका। यहां यह बता दें कि विवाद भले ही नित्यांनंद शुक्ल से हुआ था, लेकिन डाक्टर पर हाथ छोड़ने की घटना से उनका कोई वास्ता नहीं था, ऐसा प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं।
युवा नेताओं के कथित पिटाई की घटना की पुलिस विभाग भी पुष्टि नहीं कर रहा है। लेकिन लाग बाग इस घटना का चटखारे लेकर मजा ले रहे हैं। बहरहाल इसके बाद विवाद से जुड़े कई नेता अपना फोन बंद किये हुए हुए हैं। संगठन के कुछ लोग इससे बहुत शर्मिंदगी भी महसूस कर रहे हैं।