डुमरियागंज के महत्वपूर्ण जिला पंचायत वार्डों में कठिन संघर्ष, कई नेताओं की स्वयं की प्रतिष्ठा दांव पर
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मतदान की तिथि सर पर है। सोमवार को मतदान से पूर्व पंचायत के सदस्य व विभिन्न प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्रों को मथने में जुटे हैं। मतदान से पूर्व संघर्ष के अंतिम क्षणों में अपनी सबसे कुशल रणनीतियों को अमल में लाना शुरू कर चुके हैं। जिला पंचायत के 45 वाडों में से कुछ वार्ड ऐसे भी है, जिनमें कई नेताओं की प्रतिष्ठा भी दाव पर लगी है। इसलिए वह भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप समें पूरी शिद्दत से इस महा संग्राम में कूदे हुए हैं। हालांकि किसी वार्ड के चुनाव की नश्चित भविष्यवाणी करना मुमकिन नहीं है, फिर भी हवाओं के रूख से आंधी पीनी का अनुमान तो लगाया ही जा सकता है। पेश है इन्हीं अनुमानों पर एक रिपोर्टं।
डुमरियागंज में आधा दर्जन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर
जिला पंचायत सदस्य पद के लिए सबसे भीषण संघर्ष डुमरियागंज तहसील में चल रहा है। यहां आधा दर्जन नेताओं की प्रतिष्ठा किसी न किसी कारण दांव में लगी हुई है। इनमें विधायक पद के प्रत्याशी से लेकर पूर्व मंत्री तक शामिल हैं।
सबसे रोचक लड़ाई वार्ड नम्बर 17 में देखी जा रही है। यहां से सपा के वरिष्ठ नेता अफसर रिज्वी की पत्नी व जिपं की पूर्व सदस्य चंदा रिज्वी एक बार फिर मैदान में हैं। मगर इस बार उन्हें चुनौती देने वाले काफी ताकतवर हैं। चंदा रिजवी के मुकाबले यहां इस बार प्रसपा नेता नियामतुल्लाह की पत्नी सफिया काजी लड़ रही हैं। गत चुनाव में सफिया मैदान में नहीं थी। इससे उनके टाउन के विशाल वोट सफिया को ही मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा काजी नियामतुल्लाह के गुरू व पूर्व मंत्री कमाल यूसुफ के गांव व उनके प्राभाव वाला वोट भी काजी नियामतुल्लाह की पत्नी सफिया को मिलने की उम्मीद है। गत चुनाव में इस दोनो ही क्षेत्र के वोट थोक में चंदा रिजवी को मिले थे। जिससे उनकी जीत आसान हुई थी।
मुस्लिम प्रभाव वाले इस क्षेत्र में भाजपा पहली बार सपा व प्रसपा के उम्मीदवारों के समक्ष गंभीर चुनौती पेश कर रही है। भाजपा समर्थित उम्मीदवार अमलावती भाजपा के पुराने नेता अभयराम की पत्नी हैं। डुमरियागंज भाजपा के सबसे सीनियर नेता अभयराम के प्रति सहानुभूति भी देखी जा रही है। भाजपा से उन्हें कुछ मिला नहीं है। एक बार विधनसभा का टिकट उनको दिय भी गया लेकिन अंतिम क्षणों में उन्हें बदल दिया गया। इसलिए भाजपा के लोग उन्हें जिताने के लए जी जान से लगे हैं। सो इस महत्वपूर्ण और मुस्लिम बाहुल्य सीट पर अगर मुस्लिम मतों का किसी एक पक्ष में घ्रवीकरण न हुआ तो भाजपा अच्छी बढ़त पा सकती है।
पूजा चिनकू यादव सीधे संघर्ष में
अत्यंत रोमांचक और कूटनीतिक संघर्ष जिला पंचायत वार्ड नम्बर 16 और 21 में देखने को मिल रहा है। अनारक्षित वार्ड नम्बर 21 से जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष पूजा चिनकू यादव लड़ रही हैं। पूजा सपा के विधानसभा प्रत्याशी रहे चिनकू यादव की पत्नी हैं। उनके सामने भाजपा के रामरक्षा चौबे हैं। कहने को यहां सपा से हमीदुल्ला के डाक्टर पुत्र और बसपा उम्मीदवार भी मैदान में हैं मगर अंतिम लडाई सपा और भाजपा में सिमटती दिख रही है। चिनकू यादव के कद को देखते हुए भाजपा के रामरक्षा यहां के हिंदू मतों को गोलबंद करने में कत्तई सफल नहीं दिखते। इसलिए पूजा यादव की बढ़त साफ दिख रही है। वैसे अगर हिंदू मतों का अश्चर्यजनक रूप से ध्रुवीकरण हो जाए तो नतीजा पलट भी सकता है, जो फिलहाल दिखता नहीं प्रतीत हो रहा है। रही बता मुस्लिम मतों की तो यहां वह कांग्रेस और सपा व बसपा सर्मथित प्रत्याशियों में बंटते दिख रहे हैं। जिसका खासा भाग आज भी सपा के साथ दिख रहा है।
16 में दो सपाइयों में वर्चस्व की लड़ाई प्रियंका बनाम सुषमा
वार्ड नबर 16 में भी प्रतिष्ठा की लड़ाई चल रही है। यहां से सपा समर्थित उम्मीदवार घोषित नहीं है। यहां र्निदल प्रत्याशी की हैसियत से सपा कमेटी के सदस्य त्रिभुवन यादव की बहूं प्रियंका यादव मैदान में हैं। इस अनारक्षित सीट से भाजपा नेता और हिंदू युवा वहिनी के कार्यालय प्रभारी संजय मिश्रा मैदान में हैं। इसके अलवा एक कांट्रेक्टर स्व. चेतन उपाध्याय की पत्नी सुषमा चेतन भी मुकाबले में हैं, जो किसी दल की सदस्य नहीं हैं। इसके अलावा एक मुस्लिम युवा और भाजपा नेता लवकुश ओझा के परम मित्र रमजान चौधरी उर्फ अजीजुद्दीन भी मैदान में हैं। रमजान की स्थिति यह है कि भाजपा समर्थक मतदाता उन्हें मत देता दिखाई नहीं दे रहा, तो मुस्लिम समाज उन्हें भाजपा खेमे का मान कर उनसे किनारा करता दिख रहा है।
यहां रोचक त्रिकोण लड़ाई
इसलिए वास्तविक मुकाबला प्रियंका यादव, सुषमा चेतन व भाजपा के संजय मिश्रा में ही है। यहां सपा जिलाध्यक्ष् लालजी यादव का खेमा सपा नेता त्रिभुवन यादव के साथ है। वे पूरे साधन और संसाधन से लड़ रही है। उनके इंजीनियर रामफेर यादव खुद चुनाव कमान संभाल रहे हैं। दूसरी तरफ डुमरियागंज में चिनकू यादव व उनका समर्थक वर्ग सुषमा चेतन के समर्थन में उतरा हुआ है। इसके बावजूद यहां मुस्लिम मतदाता का जेहन साफ है। उसका बड़ा हिस्सा प्रियंका यादव की तरफ झुकता दिखाई दे रहा है। बचे वोटों पर रमजान का कब्जा है सुषमा को केवल दिवंगत चेतन उपाध्याय के मुस्लिम मित्रों की टोली से सम्बंधित वोट मिलते दिख रहे हैं। वो भी क्षेत्र के उत्तरी भाग में जहां के चेतन रहने वाले हैं। कुल मिला कर इस क्षे़त्र में भाजपा के संजय मिश्रा, प्रियंका यादव व सुषमा उपाध्याय के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। हां एक बात तय है कि रमजान चौधरी जितने मुस्लिम मत काटेंगे उससे नुकसान सपा के त्रिभुवन यादव की बहू प्रियंका यादव का ही होगा। खैर मतदान में अभी 36 घंटे शेष है, इसलिए देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।