अधिकारी और प्रधान दफ्तर में बैठकर करते हैं सोशल ऑडिट
संदीप कुमार मद्धेशिया
“गांवों के विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए शासन ने सोशल ऑडिट की व्यवस्था शुरू की थी। मगर ज़िला मुख्यालय से सटे लोटन ब्लॉक में उल्टी गंगा बह रही है। यहां की 50 ग्राम पंचायतों के कई ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान पंचायत अधिकारी के साथ मिलकर बंद कमरे में सोशल ऑडिट कर रहे हैं। इस मिलीभगत की वजह यह है कि विकास परियोजनाओं के सारे रुपए प्रधान-अफसर डकार चुके हैं और सोशल ऑडिट की जगह महज खानापूरी कर रहे हैं।”
लोटन ब्लॉक की कुल 50 ग्राम पंचायतों की तस्वीर बदलने के लिए शासन हर साल लाखों रुपए जारी करता है। इस धन के दुरूपयोग पर पाबंदी के लिए सभी ग्राम पंचायतों में रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक, ब्लाक स्तर पर कोऑर्डिनेटर और एपीओ आदि की तैनाती की गई है। सभी की ज़िम्मेदारी यह है कि मनरेगा योजना के तहत हो रहे विकास कार्यों का कार्यस्थल पर जाकर भौतिक सत्यापन करें और ग्रामीणों से विकास कार्यों के बारे मे जानकारी हासिल करते रहें। मगर ग्राम पंचायतों में ना कोई खुली बैठक हो सकी और ना ही सोशल ऑडिट।
ग्रामीण सवाल करते हैं कि ये सोशल आडिट किस चिड़िया का नाम है। हमे तो इसके बारे में कुछ भी नहीं मालूम है और न ही कभी कुछ बताया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सिक्रेटरी आपस में मिलजुल कर ब्लॉक पर ही आडिट करा लेते हैं।