काठमांडू स्थित पाक दूतावास है जाली नोटों का लांचिंग पैड

August 5, 2015 4:58 PM0 commentsViews: 214
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नजीर मलिक

FAKE CURRENCY

“सिद्धार्थनगर ज़िले में अभी तक फर्ज़ी करंसी के जितने मामले उजागर हुए हैं, कमोबेश सभी में उसका कनेक्शन नेपाल की राजधानी काठमांडू से रहा है।  जाली इंडियन करंसी केस में सिद्धार्थनगर पुलिस की ताज़ा कार्रवाई ने काठमांडू कनेक्शन की थ्योरी को एक बार फिर सच साबित कर दिखाया है।”

चार अगस्त को सिद्धार्थनगर पुलिस ने पचास हजार के जाली नोट के साथ दो लोगों को नेपाली सीमा के पास से गिरफ्तार किया है। इससे पहले साल 2008 में पांच करोड़ रूपये के जाली नोट जिले की एक एसबीआई शाखा से बरामद हो चुके हैं। इन दो बड़ी वारदात से इतर भी कई बार मुकामी पुलिस जाली नोटों के तस्करों के ख़िलाफ कार्रवाई कर चुकी है। इन सभी मामलों की पड़ताल में पता चलता है कि पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू जाली नोटों का लांचिंग पैड बनी हुई है, जहां से तस्कर, भारत विरोधी तत्व उत्तर प्रदेश व बिहार में जाली नोटो की खेप पहुंचा रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने का यह खेल लगभग दो दशक से जारी है।

सिद्धार्थनगर सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महाराजगंज, गोंडा और बिहार के चंपारन, सिवान आदि जिलों में जाली नोटों की बरामदगी और तस्करों की गिरफ्तारी अक्सर होती है। नोटों की खेप आमतौर पर बांग्लादेश के रास्ते नेपाल पहुंचती है। फिर राजधानी काठमांडू में इंतज़ार कर रहे कैरियर खेप को लेकर आगे बढ़ जाते हैं। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक जाली नोट तस्करों को काठमांडू स्थित एक दूतावास से संरक्षण लिता है। भारत की अर्थव्यवस्था पर वार करने की नीयत से जाली नोटो की खेप उत्तर प्रदेश बिहार में भेजने की शुुरूआत नब्बे के दशक में हुई थी, जो आज तक जारी है।

दूतावास की भूमिका समझने के लिए फ्लैशबैक में जाना ज़रूरी है। साल 2001 में पाक दूतावास के तृतीय सचिव अरशद चीमा के आवास से करोडों रूपये के जाली नोट की बरामदगी हुई थी। चीमा की भूमिका उजागर होने के बाद उसे नेपाल से वापस पाकिस्तान भेजा गया था। दरअसल चीमा दूतावास कर्मी के रूप में आईएसआई का एजेंट था। कंधार विमान अपहरण कांड में भी उसकी भूमिका खुलकर सामने आ गई थी।

मगर चीमा पर हुई कार्रवाई के बावजूद काठमांडू स्थित पाक दूतावास में ऐसी गतिविधियों पर लगाम नहीं कसी जा सकीं। बेहद निजी सूत्रों का दावा है कि अभी भी दूतावास के कुछ कर्मी इस रैकेट का हिस्सा हैं। नेपाल सीमा के आसपास वक्त-बेवक्त होने वाली कार्रवाई भी इसका पुख्ता सुबूत हैं।

वहीं एसएसबी और लोकल पुलिस का दावा है कि उनकी निगरानी में कमी नहीं है लेकिन खुली सीमा होने के कारण अक्सर तस्कर चकमा देने में सफल हो जाते हैं। नए पुलिस अधीक्षक अजय साहनी ने अपने मातहतों को सीमा पर सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है।

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