दो पाटाें में पिस रहें किसान
कपिलवस्तु पोस्ट, सिद्धार्थनगर। दोआबा के किसान दो पाट के बीच में पिस रहा है। एक तरफ कुदरत की मार पड़ रही है। बारिश कम हुई तो सूखा और ज्यादा तो बाढ़। अगर इनसे बच गये तो नीलगायों के रहमोकरम पर निर्भर हो जाते है। झुंड ने जिधर का रुख किया, वहां की फसल चौपट हो गई। खेत में कुछ नहीं बचता है।
विकास खंड क्षेत्र के बूढ़ी राप्ती नदी से सटे दो दर्जन गांव के किसानों की फसल का फैसला नीलगाय की रहमो करम पर है। धान की नरम पौध सैकड़ों की तादाद में विचरण करने वाले नीलगायों का स्वादिष्ट भोजन बन गई है। गंगवाल, भूतहिया, तनजवा, महुआ, गोनहा, कपिया, जोगिया, लखनापार, बडहरा, हरैया, ककरही, हडकौली आदि गांवों में इनका आतंक किसानों के सिर पर चढ़ कर बोलता है। नदी के तटबंध पर दर्जनों की संख्या में ये ठिकाना बनाये हुए है। भूख लगने पर सभी झुंड के शक्ल में एक साथ फसल पर टूट पडते हैं। कृषक हरीराम, सुरेन्द्र, शौकीलाल, रामनयन, अजय कर पाठक, असलम, अलीरजा, परमेंद्र, जोखू, हनुमान तिवारी आदि ने प्रशासन से नीलगायों के रोकथाम के लिए कार्रवाई करने की मांग किया है।