नीलगायों के खौफ से कांप रहे किसान
“सिद्धार्थनगर जिले के दोआबा क्षेत्र में नीलगायों के झुंड धान की खेती को बरबाद करने में लगे हैं। इस बार किसान दो पाटों के बीच फसा हैं। एक तरफ कुदरत की तरफ से कम बारिश की मार, उपर से नीलगायों के अतंक ने किसानों को अधमरा कर दिया हैं”
जनपद में राप्ती व बूढ़ी राप्ती नदी से सटे तकरीबन पांच सौ गांव के किसानों की फसल का फैसला नीलगायों के रहमोकरम पर है। धान की नरम पौध सैकड़ों की तादाद में विचरण करने वाले नीलगायों का स्वादिष्ट भोजन बन गई है।
गंगवाल, भूतहिया, तनजवा, महुआ, गोनहा, कपिया, जोगिया, लखनापार, बडहरा, हरैया, ककरही, हडकौली आदि गांवों में इनका आतंक किसानों के सिर पर चढ़ कर बोल रहां हैं। नदी के तटबंध पर दर्जनों की संख्या में ये ठिकाना बनाये हुए हैं। भूख लगने पर सभी झुंड के शक्ल में एक साथ फसल पर टूट पडते हैं।
कृषक हरीराम, सुरेन्द्र, शौकीलाल, रामनयन, अजय कर पाठक, असलम, अलीरजा, परमेंद्र, जोखू, हनुमान तिवारी आदि ने प्रशासन से नीलगायों के रोकथाम के लिए कार्रवाई की मांग किया है।
याद रहे कि नीलगायों को मारने के लिए शासन द्वारा बनाये गये नियम काफी जटिल हैं, लिहाजा किसान इन्हें मार नही पाते।