नेपाल में हिंदू राष्ट्र निर्माण की आखिरी छटपटाहट
नजीर मलिक
हिंदू राष्ट्र निर्माण के लिए नेपाल में आंदोलन तेज हो गया है
“नए संविधान की घोषणा का वक़्त करीब आते ही नेपाल की हिंदू राष्ट्र समर्थक ताकतें छटपटाने लगीं हैं। उन्होंने संविधान घोषणा के ठीक पहले अंतिम बार नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए नया आंदोलन शुरू कर दिया है। तमाम कसरसों के बावजूद अभी तक इन संगठनों को अपेक्षित कामयाबी नही मिल पा रही है। 16 अगस्त को नेपाल में नए संविधान की घोषणा हो सकती है।”
10 अगस्त को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (कमल थापा गुट), नेपाल विश्व हिंदू मंच, हिंदू रक्षा समिति, नेपाल मुक्ति मंच, विश्व हिन्दू परिषद, स्वधर्म सांस्कृतिक संरक्षण अभियान, हिन्दू रक्षा वाहिनी और महाकाल सेवा समाज जैसेहिंदूवादी संगठनों ने पूरे हिंदी भाषी क्षेत्र में धरना प्रदर्शन कर सरकार को मांग पत्र सौंपा। इन संगठनों ने चेतावनी जारी की है कि अगर नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया तो पूरे नेपाल में उग्र आंदोलन होना तय है।
आंदोलन करने वाले कमोबेश सभी संगठन को भारत का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बैकडोर से हर मुमकिन मदद कर रहा है। नेपाल की संघ समर्थक हिंदूवादी ताकतों का सारा जोर मधेसी और पहाडी हिंदुओं को एकजुट कर आंदोलन को मजबूत बनाना है, लेकिन अभी तक इन संगठनों को अपने मकसद में सफलता नहीं मिल पा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह नेपाल में प्रांतो के निर्माण और सीमांकन का विवाद है। इस विवाद ने नेपाल के हिंदुओं को दो गुट पहाडी और मधेसी (भारतीय मूल के नेपाली) में बांट दिया है। यह वजह है कि इन संगठनों की हिंदू एकता तलवार की धार पर सान नहीं चढ पा रही है।
मालूम हो कि नेपाल में राजशाही के खातमे के बाद पिछले आठ सालों से रह-रह कर हिंदू राष्ट्र की मांग उठती रहती है, लेकिन इस मुद्दे को पहली बार तीन साल पहले गंभीरता से पूर्वी नेपाल के धारान शहर में एक विशाल सम्मेलन के माध्यम से उठाया गया था। सम्मेलन का आयोजन विश्व हिंदू मंच ने किया था। मंच फिलहाल नेपाल का सबसे मज़बूत हिंदूवादी संगठन है।
यह संगठन नेपाल की राजनीति में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (कमल थापा गुट) के नाम से सक्रिय है। फिलहाल इसके छह सांसद हैं और यह घोषित तौर पर नेपाल में राजशाही की समर्थक पार्टी भी है। संगठन की ताक़त का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब तीन साल पहले धारान शहर में हिंदू सम्मेलन बुलाया गया तो नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र विक्रम शाह की पुत्रवधू हिमानी शाह खुद धारान में मौजूद थीं।
राजनीतिक उथल-पुथल के चलते हिमानी इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुई थीं लेकिन कहा जाता है कि पर्दे के पीछे से सारा आयोजन उन्होंने ही किया था। इसके लिए उन्होंने अच्छी-खासी रकम भी मुहैया करवाई थी जबकि रणनीति के पीछे नेपाल विश्व हिंदू मंच के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव कर्नल केशर सिंह थे।
यह संगठन भारत के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडा हुआ है। इस साल 10 अगस्त को पूरे नेपाल में हुए धरना प्रदर्शन में पहाडी हिंदुओं की कम भागीदारी ने हिंदू राज की स्थापना की मंशा को कमजोर किया है। हालांकि हिंदू राष्ट्र के समर्थक दावा करते है कि उनके आंदोलन को नेपाली मुसलमानों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। मगर इस दावे की जड़ तक जाने पर एक नई तस्वीर उभरती है। भारत में संघ के संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की तर्ज़ पर वहां भी ऐसा ही मंच गठित किया जा चुका है।
इस बारे में नेपाल मुक्ति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष माधव पोखरेल का कहना है कि नेपाल में हिन्दू राष्ट्र आंदोलन कमजोर नहीं हैं। जल्द ही ढाई करोड़ हिंदू अपने लक्ष्य को पूरा कर लेंगे। इसलिए कि हिन्दू चाहे मधेसी हों या पहाड़ी, सभी एकजुट हैं। अब नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में देर नहीं है।