विज्ञान पर आस्था भारी, जलस्रोत स्थल पर मंदिर निर्माण
“उत्सवधर्मी सामाज में आस्था ने विज्ञान को एक बार फिर धूल चटा दी है। जिले के एक गांव रमवापुर दुबे में जमीन से फूटे पानी के स्रोत को ग्रामीण मां गंगा का चमत्कार मान रहे हैं। वहां पूजापाठ शुरू होने के साथ मंदिर निर्माण की तैयारी भी हो गई है। गांववालों ने वहां दो पिलर भी खड़े कर दिए हैं।”
खबर है कि गांव के बाहर एक तालाब के पास से निकले पानी के स्रोत का पानी लेने के लिए हर दिन हजारों लोग आ रहे हैं। इसे मा गंगा का चमत्कार मान कर गांव के ही सुधाकर द्विवेदी ने रामायण का पाठ कराया है। वहां एक मंदिर बनाने के लिए दान पात्र भी रख दिया गया है। जल स्रोत स्थल पर मंदिर के लिए दो खंभे भी खड़े कर दिए गये हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पानी की धार पिछले पचीस दिनों से फूट रही है। इसका पानी बहुत मीठा और ठंडा है। पानी के स्रोत में ग्रामीणों ने अब प्लास्टिक का पाइप लगा दिया है ताकि लोगों को आसानी से पानी मिल सके। गांव के सुधाकर दुबे ने मौके पर विशाल रामायण पाठ और भंडारा करवाकर जलस्रोत की चर्चा को व्यापक बना दिया है।
वहीं ग्रमीणों का कहना है कि यह इस क्षेत्र पर मां गंगा की कृपा है। हालांकि एक तबका इसे अंधविश्वास की संज्ञा दे रहा है, मगर ग्रामीणों को ऐसे दावों की परवाह नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक राजधानी लखनऊ से भी श्रद्धालुओं का एक जत्था यहा आकर सैकडों लीटर पानी ले जा चुका है। ग्रामवासी मुकेश द्विवेदी का कहना है कि वैज्ञानिक कारण से जलस्रोत फूटना संभव है, लेकिन आस्था तो आस्था ही है।