साफ़ पानी के नाम पर ज़हर पिला रही समाजवादी सरकार, करोड़ों डकारे
नजीर मलिक
साफ पानी के लिए बने मानक का ग्राफ
“सिद्धार्थनगर में तकरीबन सौ करोड़ खर्च करने के बाद भी लोग पानी के नाम पर जहर पी रहे हैं। इस बारे में पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की रिपोर्ट चाैंकाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक जिले की तीस लाख जनसंख्या मौत के कगार पर है। वजह यह है कि इतनी रकम खर्च करने बावजूद यहां के नागरिक जहरीले पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें आर्सेनिक आयरन व फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्व मिले हुए हैं”
राज्य पेयजल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन लखनऊ की टीमों द्वारा पिछले दिनों तहसील मुख्यालय बांसी सहित तहसील के कुल 70 ग्राम पंचायतों में इंडिया मार्का हैंडपंपों की जांच की गयी। सभी में आर्सेनिक फ्लोराइड आयरन आदि की मात्रा मानक से अधिक पायी गयी।
बांसी मुख्यालय के हैंडपंपो की जांच में आर्सेनिक 1‐5 मिग्रा प्रति लीटर फ्लोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर व आयरन 1‐3 मिग्रा प्रति लीटर पाया गया है, इन तत्वों की अधिकता के चलते कैंसर, गैंगरीन, हदय रोग जैसी बीमारियां व्यक्ति को जल्दी प्रभावित करती हैं।
यह बताना जरूरी है कि सरकार ने आम आदमी को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए जिले में तीस हजार इंडिया मार्का हैंडपंप लगा रखा है, यानी प्रति सौ व्यक्ति पर एक चांपाकल का इंतजाम है।
इन चांपाकलों की लागत 60 करोड़ है। इसके अलावा मरम्मत, रिबोरिंग व अन्य खर्चो की कुल रकम लगभग सौ करोड़ बैठती है।
रिर्पोट के मुताबिक, फिर भी 80 प्रतिशत हैंडपंप दूषित जल दे-रहे हैं। साफ है जिले की 80 प्रतिशत आबादी पानी के नाम पर जहर पी-रही है।