हड़ताल से ठप्प हुए सीमाई बाज़ार, ज़िंदगी की रफ्तार भी थमी
एम. सोनू फारूक़
“नेपाल के तराई इलाक़े में चल रही हड़ताल से जनजीवन बुरी तरह बिखर गया है। भारतीय वाहन लंबी-लंबी कतार में कई दिन से यहां खड़े हुए हैं। दोनों देशों के सीमाई बाज़ारों में कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसरा है। एक अनुमान के मुताबिक भारतीय बाज़ार का तकरीबन 20 लाख रुपया हर दिन हड़ताल की भेंट चढ़ रहा है।”
नेपाल सीमा से सटे बढ़नी, अलीगढ़वा, खुनुवा, ककरहवा जैसे इलाक़ों में भारतीय बाजार हैं। मगर नेपाल में लगातार जारी बंदी की वजह से इन बाज़ारों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। वहीं बढ़नी के आसपास सैकड़ों वाहन हड़ताल खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं। बड़े ट्रकों पर खाद्य समाग्री लदी है जो अब सड़ना शुरू हो गई हैं। ड्राइवर मनोज का कहना है कि अगर एक या दो दिन में हड़ताल खत्म नहीं हुई तो वाहनों में रखा सामान खराब हो सकता है।
नेपाल के तराई इलाक़ों में खाद्य सामग्री भारतीय बाज़ारों से जाती है लेकिन अब वहां भीषण किल्लत पैदा हो गयी है। नेपाल के चंद्रौटा बाजार में आटा, चावल, दाल, चीनी, तेल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम दोगुने से ज़्यादा हो गए हैं। वहीं भारतीय क्षेत्र में वाहनों के फंसे होने के कारण नेपाली भंसार को लगभग 40 लाख रुपये का रोजाना चपत लग रही है। हड़ताल से हलकान कारोबारियों कहना है कि नेपाली सरकार और मधेसियों में बढ़ता टकराव उनके लिए मुसीबत बन गया है।