होशियारः रात गहरा रही है, सियासी निशाचर कहीं भी मिल सकते हैं आप से
नजीर मलिक
चुनावों में मतदान के पूर्व की रात बहुत कतिल होती है। तमाम उम्मीदवार इसी एक रात में लालच और कदाचार का जाल फेंक कर मतदाताओं को फंसाते हैं। नोट, दारु और तमाम तोहफे रात में निकलने वाले यही निशाचर बांटते हैं। तो आप होशियार रहिएगा। यह निशाचर कहीं लोकतंत्र के इस त्यौहार को कलंकित न कर पायें।
गुरुवार की रात अनेक सियासी निशाचारों ने हर चुनावों की तरह इस बार भी इतिहास दोहराने की तैयारी कर ली है। धोती और साड़ियां सुरक्षित अडृडों पर पहुंचा दी गई हैं। दारू की पेटियां भी पहले से ही स्टोर कर ली गई हैं।
लोटन के महाराजगंज बार्डर, अलीगढ़वा बार्डर पर नेपाल के चाकड़ चौड़ा और शोहरतगढ़ इलाके में खुनुवा बार्डर पर नेपाल के मर्यादपुर, उस्का रेलवे पुल के पार और जिला हेडक्वार्टर से सारा खेल शुरू किया जा रहा है।
कहने को तो बार्डर सील है। वहां पुलिस और एसएसबी की चौकसी है। लेकिन यह चौकसी सिर्फ चेक पोस्टों तक ही है। पूरी सीमा खुली है। पांच मिनट में इधर का माल उधर करने में किसी निशाचर को कोई परेशानी नहीं है।
जानकार बताते हैं कि कई प्रत्याशी जो इस खेल के माहिर हैं, अपने अपने समर्थक उम्मीदवारों को दिशा निर्देश दे रहे है। उनके कार्यकर्ता उसे अंजाम दे रहे हैं।
हांलांकि पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी का कहना है कि उनकी फोर्स की नजर चारों ओर है। लेकिन फोर्स की भी अपनी सीमाएं है। अगर कोई वोटर एक पर्ची लेकर किसी खास मुकाम पर जाये और वहां से कुछ नकद, एक साड़ी या एक धोती लेकर चला आये तो पुलिस क्या कर लेगी।
दरअसल वोटर पटाने का यह अपराध पूरी सफाई से खेला जाता है। इसलिए जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की ही नहीं, जागरूक वोटर की भी है। उसे चाहिए कि वह निशाचरों की साजिश को नाकाम करे।