विमोचन समारोहः किताबें हमें बताती हैं जीने का सलीका-प्रो. गणेश पांडेय
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। किताबों से दूरी के कारण आज की युवा पीढ़ी वैचारिक संकटों से जूझ रही है। किताबें हमें जीवन को जीने का सलीका बताती हैं। इसलिए आज के संचार क्रांति के युग में पुस्तकों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। लोग किताबें पढ़ कर ही समाज का निर्माण कर सकते हैं।
उक्त बातें गोरखपुर विश्वविदयाल के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गणेश पांडेय ने कहीं। वह रविवार को विकास भवन स्थित अम्बेडकर सभागार में वसुधैव कुटुम्बकम् एक मानवीय संगठन द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन विमोचन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुस्तकों से हमें ज्ञान प्राप्त होने के साथ ही अज्ञानता दूर करने के साधन भी प्राप्त होते हैं।
गणेश पांडेय पुस्तकों द्वारा अर्जित ज्ञान हमें सामाजिक सरोकार, दायित्व व अपने आपको स्थापित करने का हुनर भी सिखाता है। इस दौरान जनपद के वरिष्ठ चिकित्सक व साहित्यकार सच्चिदानंद मिश्र ने कहा कि सभी धर्मों का सार मानवता की सेवा ही है। सभी मनुष्य ईश्वर की संतानें हैं। अतः पारस्परित प्रेम व सहिष्णुता ही हमारा नैतिक दायित्व है। अच्छी किताबें हमें आत्मानुसाशन के लिए प्रेरित करती हैं।
इसके अलावा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार सच्चिदानद मिश्र, डा ए.एस. सिद्दीकी, डा. राम पांडेय आदि ने किताब की उपयोगित और सामयिकता पर चर्चा की। डा. मिश्र ने भारतीस समाज में मूल्यों की स्थापना पर जोर दिया तो राम पांडेय ने कहा कि किताब आने वाली नस्लों क प्रेरणाश्रोत बनेगी।
इस दौरान सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी महेंद्र प्रसाद शुक्ला द्वारा लिखित भ्रमित जीवन तथा अनुशासित जीवन का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम को डा. रामनरेश मिश्रा, प्रो. सुरेंद्र मिश्रा, डा. एएस सिद्दीकी, डा. विनयकांत मिश्रा, डा. राज पांडेय, डा. बृजेश पांडेय, महेंद्र प्रसाद शुक्ला आदि ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन नियाज कपिलवस्तुवी ने किया। इस अवसर पर उपेंद्र उपाध्याय, अनिरूद्ध मौर्या, मुरलीधर मिश्र, गंगा मिश्र, उदयभान मिश्रा, शिक्षक जितेंद्र पांडेय आदि उपस्थित रहे। इससे पूर्व दोनपें पुस्तकों के लेखक महेंन्द्र प्रसाद शुक्ल ने आये अतिथियों का स्वागत किया
और पुस्तक की कथा वस्तु को अवगत कराया।