भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपी को रिटायरमेंट के बाद माता प्रसाद ने बना दिया विधानसभा ओएसडी

April 17, 2017 1:15 PM0 commentsViews: 1464
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प्रभात रंजन दीन

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय और विधानसभा ओएसडी मिश्र

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय और विधानसभा ओएसडी रामचंद्र मिश्र

रिटायरमेंट के बाद भी रामचंद्र मिश्र को विधानसभा में ओएसडी बना कर क्यों नियुक्त कर लिया गया? निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को रामचंद्र मिश्र में ऐसी क्या खूबियां और योग्यता दिखीं कि चुनाव आचार संहिता की परवाह नहीं करते हुए उसे ओएसडी के पद पर पुनर्नियुक्ति दे दी? वही ओएसडी अभी सुर्खियों में है. वजह है रामचंद्र मिश्र की पत्नी सुनीता मिश्र की लखनऊ में सौतेले बेटे द्वारा की गई हत्या.

मिश्र की पत्नी की उनके सौतेले बेटे ने की हत्या

मिश्र का आलीशान घर गोमती नगर के विरामखंड इलाके में है. मिश्र का सौतेला बेटा विनोद मिश्र सालभर बाद घर लौटा और उसने सौतेली मां के सिर पर हथौड़े से वार किया. घर में मौजूद विशाल यादव ने विनोद को दो गोलियां मारीं. विनोद एक कमरे में छुप गया. हल्ला मचा तो भीड़ जमा हो गई. पुलिस ने विनोद और सुनीता मिश्र को अस्पताल पहुंचाया, जहां सुनीता (40) की मृत्यु हो गई. विनोद की हालत गंभीर है. पुलिस ने गोली चलाने वाले विशाल यादव को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस यह छानबीन कर रही है कि सालभर बाद घर आए विनोद ने ऐसा क्या देखा कि अपना गुस्सा रोक नहीं पाया और हथौड़े से ही अपनी सौतेली मां पर वार कर दिया? फिर विशाल वहां क्या कर रहा था जिसने विनोद को गोली मारी?

माता प्रसाद ने नहीं कराया जांच, उलटे बना दिया ओएसडी

बहरहाल, विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय द्वारा पुनर्नियुक्त कर ओएसडी बनाए गए बुजुर्ग रामचंद्र मिश्र पर सेवाकाल के दौरान चारित्रिक सवाल उठते रहे हैं. भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे मिश्र अकूत सम्पत्ति के मालिक कैसे बन बैठे, इस बारे में माता प्रसाद पांडेय ने जांच कराने की कभी जरूरत नहीं समझी. यद्यपि मिश्र की इन्हीं खूबियों और योग्यता ने माता प्रसाद पांडेय को इतना प्रभावित किया कि रिटायर हो जाने के बाद भी उसे बुला कर ओएसडी की कुर्सी पर बैठा दिया.

मिश्र पर थे नौकरी के नाम पर ठगी का आरोप

लखनऊ के तकरोही इलाके में मिश्र का एक भव्य पब्लिक स्कूल भी है. विधानसभा में नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए की ठगी करने का मिश्र पर गंभीर आरोप रहा है. इस पर मिश्र को बर्खास्त भी किया गया था, लेकिन आरोप साबित नहीं होने के कारण नौकरी बहाल हो गई थी. विधानसभा में नौकरी देने के नाम पर मिश्र द्वारा बेरोजगारों से पैसे वसूलने का मामला हजरतगंज थाने में दर्ज हुआ था. तब यह खुलासा हुआ था कि विधानसभा में नौकरी देने के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय है, जिसे विधानसभा सचिवालय में बैठे अधिकारियों का सीधा संरक्षण मिला हुआ है.

ठग गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार भी किए गए थे. पूछताछ में गिरोह के सदस्यों ने ही रामचंद्र मिश्र, जय किशोर द्विवेदी समेत कुछ अन्य लोगों के नाम बताए थे. हजरतगंज पुलिस ने जौनपुर के मंशाराम उपाध्याय और सुधीर यादव के खिलाफ ठगी की रिपोर्ट दर्ज की थी. आरोप था कि ठगों का गिरोह बेरोजगारों को सचिवालय के कक्ष संख्या-95-ख में बुलाकर बाकायदा साक्षात्कार लेता था और वहीं पर उनसे पैसे की वसूली की जाती थी.

साक्षात्कार में कुछ अपरिचित लोगों के साथ-साथ रामचंद्र मिश्र जैसे विधानसभा सचिवालय के कुछ अधिकारी भी शामिल रहते थे. इसी आधार पर पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था. छानबीन में पता चला था कि सचिवालय कर्मचारी रामचंद्र मिश्र और जय किशोर द्विवेदी व कुछ अन्य लोग युवकों का साक्षात्कार लेने के बाद फर्जी नियुक्ति-पत्र भी जारी कर देते थे. ऐसा ही एक नियुक्ति-पत्र लेकर रवींद्र सिंह नामक युवक जब जौनपुर के जिला विद्यालय निरीक्षक के पास पहुंचा और नियुक्ति-पत्र की सत्यता की पुष्टि कराई गई तब इस गोरखधंधे का खुलासा हुआ. यह मामला कुछ दिनों तक सरगर्मियों में रहा. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट भी विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी. लेकिन बाद में फिर यह मामला ठंडा ही पड़ गया. रामचंद्र मिश्र दोष-मुक्त भी हो गए, नौकरी में बहाली भी हो गई और अब तो रिटायरमेंट के बाद फिर से ओएसडी भी बना दिए गए.

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