पिटूं हत्याकांड का रहस्य गहराया, कहीं निर्दोष को तो नहीं भेज दिया गया जेल?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। ग्राम सकारपार के २८ साल के युवक पिंटू के कत्ल के आरोप में खेसरहा थाने की पुलिस ने गांव के ही अश्विनी तिवारी नामक व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस ने हत्या का कारण पिंटू द्धारा बिना पूछे अश्विनी की साइकिल चलाने से उत्पन्न विवाद बताया जा रहा है। लेकिन जिस बर्बर तरीके से पिंटू की जान ले गई, उससे नहीं लगता कि एक मामूली विवाद के चलते पिंटू को मारा गया होगा।
पिंटू की लाश कल सकारपार के करीब सागौन के बाग में में मिली थी। मारने के बाद उसकी आंखें निकाल ली गई थीं। चेहरे के साथ शरीर के कई हिस्सों को को तेजाब से जलया भी गया था। अपराध विज्ञानी जानते हैं कि कत्ल के सामान् मामलों में हत्यारे शव के साथ अमानवीय हरकत नहीं करते। वे कत्ल के बादभाग निकलते हैं। लेकिन शव विकृत करने का काम तभी किया जाता है जब हत्यारों को मृतक से बेहद नफरत हो। मगर इस मामले में सब कुछ उल्टा पुल्टा है।
गौर तलब है कि ११ जून को पिंटू अपनी मां के लिए दवा खरीदने के लिए गांव के ही अश्विनी तिवारी की साइकिल उससे बिना पूछे लेकर चला जाता है। पिंटू दवा लेकर लौटता है तो उसकी अश्विनी से बिना पूछे साइकिल ले जाने पर विवाद होता है। परन्तु कुछ लोगों के समझाने पर मामला शांत हो जाता है। उसी शाम पिंटू गायब हो जाता है और फिर कल उसकी लाश मिलती है। फिर घर वालों की तहरीर पर पुलिस अश्विनी तिवारी को गिरफ्तार कर जेल भेज देती है।
अब सवाल यह है कि इस प्रकार के मामूली विवाद पर किसी की हत्या की जा सकती है? मान लिया कि कि उत्तेजना में ऐसा कदम उठा लिया गया हो तो हत्या के बाद शव को विकृत करने के बाद आंखें निकालने के पीछे कातिल की क्या मंशा हो सकती है। अश्विनी एक किसान परिवार से है। वह पेशेवर अपराधी भी नहीं है। फिर इस प्रकार की नृशंस हत्या क्यों की होगी।
सकारपार गांव के लोग भी अश्विनी की गिरफ्तारी से सहमत नहीं हैं। कई लोगों का कहना है कि हत्या के पीछे कोई अन्य है और उसकी कोई दूसरी वजह भी हो सकती है। मुमकिन है कि अश्विनी से विवाद के बाद उसने पिंदू को मार डाला हो और शक में अश्विनी फंस गया हो। बहरहाल सच क्या है यह तो तभी सामने आयेगा, जब इस हत्याकांड की गहराई से छानबीन हो।