ईद के दिन बुजर्ग अकरम की लाश को दफनाने के लिए बैठे रहे ग्रामीण
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर।पूरी दुनियां ईद की खुशियां मना रहा थी, लेकिन चुनमुनवा गांव के लोगों के नसीब में यह नहीं था। गांव वाले बुजर्ग अकरम की लाश लिए दिन भर बैठे रहे। पुलिस नाटक करती रही। अंत में प्रशासन के पहुंचने पर अकरम को सिपुर्दे खाक किया जा सका। पुलिस की नासमझी से उस इलाके के एक दर्जन गांवों के मुसलमानों के त्योहार की खुशिया फीकी पड़ गईं।
मामला सिद्धार्थनगर थाने के चुनमुनवां गांव का है।यहां के 65 साल के अकरम मिस्त्री की शनिवार की शाम बीमारी के दौरान मौत हो गई। ईद के दिन गांव वाले अकरमकी लाश लेकर परम्परागत कब्रिस्तान पहुंचे। कब्र खोद दी गई। लोग लाश को दफन करने जा रहे थे कि गांव में नौगढ़ पुलिस चौकी इंचार्ज अभिमन्यु सिंह ने दल बल के साथ पहुंच कर लाश दफनाने से रोक दिय। खुदी कब्र भी पाट दी गई।
ग्रामीणों के एतराज पर दारोगा अभिमन्यु का कहना था गांव के एक यादव परिवार ने इसे अपनी जमीन बताते हुए शिकायत की है। गांव वालों ने कहा कि वह उनके गांव का पचाससाल पुराना पारम्परिक कबिस्तान है। लेकिन दारोगा नहीं माने।
अंत में यह मामला तेजी से फैलने लगा। तमाम मुसलमान वहां जुट गये। उन्होंने दारोगा पर दबाव बनाया कि कब्रिस्तान की अभी पैमाइश करायें, जिससे तय हो सके कि यह कब्रिस्तान है या किसी की जमीन है। आखिर जन दबाव के सामने दारोगा को झुकना ही पडा। उन्होंने घटना की जानकारी प्रशासन को दी। फौरन तहसीलदार अपने अमले के साथ मौके पर पहुंचे।
फौरन जमीन की पैमाइश हुई। जमीन कब्रिस्तान की ही थी। अतः पांच घंटे के बाद अकराम की लाश दफन करने की इजाजत दी गई। पांच घंटे तक लाश के बाहर पड़े रहने का लेकर ग्रामीण व्यथित रहे। लोगों में गुस्सा भी रहा। मामला साम्प्रदायिक रंग लेता इससे पूर्व ही तहसीलदार की पैमाइश ने स्थिति को शांत बना दिया।वरना दारोगा की नासमझी से बड़ घटना हो सकती थी।