ईद पर गरीब शबाना के परिवार के लिए फरिश्ता बन कर आये डीम, सोये रहे शहर के सारे मुसलमान
––– शबाना का परिवार था दाने दाने को मोहताज, सिवई खरीदने के लिए भी नही थे पैसे
––– डीएम योगेश्वर राम मिश्र ने आनन-फानन में कर निभाया फर्ज, सोती रहीं मुस्लिम संस्थाएं
सिद्धार्थनगर। शबाना के घर चांद रात वाले दिन उपवास था। घर में खाने को एक दाना नहीं था। अगर चांद रात को डीएम साहब ने शबाना के परिवार के के घर कपड़े नकदी और सिवइयां न भिजवाईं होतीं तो उनकी ईद आसूंओं में डूबी होती। एक गैर मजहब के इसान ने इंसानियत के प्रति अपना फर्ज अदा कर मानवता की लाज बचा ली। लेकिन सवाल है कि बनारस शहर किे मुस्लिम धन्ना सेठ और बड़ी बड़ी दीनी संस्थाएं कहा साई पड़ी थीं।
वाराणसी के मंडुवाडीह इलाके की रहने वाली शबाना के घर ईद की कोई तैयारी नहीं थी. किसी के पास नए कपड़े नहीं थे क्योंकि शबाना के घर की माली हालत ऐसी नहीं थी कि ईद की तैयारी कर सकती. उदास शबाना के दिमाग मे एक ख्याल आया कि उसने जिले के जिलाधिकारी का नंबर पता किया और फिर फौरन एक मैसेज भेज दिया जिसका मजमून कुछ ऐसा था, ‘डीएम सर, नमस्ते, मेरा नाम शबाना है और मुझे आपकी थोड़ी सी हेल्प की जरूरत है. सर सबसे बड़ा त्यौहार ईद है. सब लोग नए कपड़े पहनेंगे लेकिन हमारे परिवार में नए कपड़े नहीं आए. मेरे माता-पिता नहीं है. 2004 में इंतकाल हो चुका है. मेरे घर में मैं और मेरी नानी और छोटा भाई है सर’.
काशी विद्यापीठ विकासखंड के मंडुआडीह थाना अंतर्गत शिवदासपुर निवासी बिना मां-बाप की शबाना का यह मैसेज जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र के मोबाइल पर ईद से 1 दिन पूर्व रविवार को दोपहर में मिला. दिल को झकझोर देने वाले इस मैसेज को पढ़ते ही जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने शबाना को ईद की ईदी देने की मन बना लिया. उन्होंने उप-जिलाधिकारी सदर सुशील कुमार गौड़ को तत्काल तलब किया और निर्देश दिया कि सोमवार को ईद से पहले उनकी ओर से शबाना और उसकी नानी और छोटे भाई को नए कपड़े, मिठाइयां और ईद की सेवई के लिए पैसे तत्काल पहुंचाएं.
उप जिलाधिकारी सदर सुशील कुमार गौड़ ने आनन-फानन में शबाना के लिए सलवार-सूट, उसकी नानी के लिए साड़ी एवं उसके छोटे भाई के लिए जींस का पैंट और टीशर्ट उपहार के रूप में पैक कराते हुए, मिठाइयां लेकर शबाना के घर पहुंच गए. इतने अफसरों को घर पर आया देख शबाना डर गई लेकिन जब पता चला कि उसके मैसेज को देखकर जिलाधिकारी ने उसके लिये ईदी भेजी है तो उस के खुशी का ठिकाना ना रहा. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिलाधिकारी को मोबाइल मैसेज से अपनी व्यथा सुनाने के बाद इतनी जल्दी फरियाद पर गौर कर लिया जाएगा.
शबाना के आंख से आंसू निकल पड़े. उसने उपजिलाधिकारी सुशील कुमार गौड़ से जिलाधिकारी के भेजे हुए ईद की ईदी प्राप्त कर धन्यवाद दिया. अधिकारियों को शबाना के घर अचानक पहुंचते ही आसपास के लोगों में भी एकाएक हलचल मच गई. जैसे ही लोगों ने जाना कि जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने सामाना के मोबाइल मैसेज पर उसे ईद की ईदी अधिकारियों के हाथों भेजी है. लोगों ने भी जिलाधिकारी के इस मानवीय पक्ष पर जिलाधिकारी को बधाइयां दी.
सवाल है कि बनारस शहर के सारे मुसलमान खास कर दीनी संस्थाएं क्या कर रही थीं। डीएम ने तो अपना काम कर इंसानियत का तकाजा पूरा किया है, लेकिन उनका सह फर्ज मुस्लिम रहनुमाओं पर जोर दार तमाचा है, जो मुसलमानों की मददके नामपर देश केमुसलमानोंसेचंदा लेते हैं औरशबना जैसी किसी गरीब की पुकार को सुनने की जहमत भी नहीं करते हैं.