फिर मिले 50 हज़ार के जाली नोट, दो बंगाली गिरफ़्तार

August 4, 2015 7:50 PM0 commentsViews: 249
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जाली नोट के साथ गिरफ्तार आरोपी एवं बरामद नोट

जाली नोट के साथ गिरफ्तार आरोपी एवं बरामद नोट

                                                                                                                                                                                                                                                                                                               “50 हजार रुपए की जाली करंसी के साथ पश्चिम बंगाल के दो शख्स को सिद्धार्थनगर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि मुलज़िमों के पास से 7 लाख रुपए की अफ़ीम भी बरामद हुई है। पुलिस अफसर चौकसी के भले कितने दावे कर लें मगर इस बरामदगी ने एक बार फिर साबित किया है कि सिद्धार्थनगर ज़िले में जाली नोटों का कारोबार लहलहा रहा है। इससे पहले साल 2008 में डुमरियागंज स्थित स्टेट बैंक  से 5 करोड़ की जाली करंसी बरामद की गई थी।”

गिरफ्तार मुलज़िमों की शिनाख्त अनवारुल और कजामुल हक के रुप में हुई है। दोनों पश्चिम बंगाल के कालियाचक इलाके के रहने वाले हैं।  पुलिस कप्तान अजय कुमार साहनी के मुताबिक दोनों मुलज़िम नेपाल की सीमा के पास संदिग्ध हालात में देखे गए। तभी त्रिलोकपुर थाने के प्रभारी ओमप्रकाश चौबे और उनकी टीम ने दोनों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। तलाशी के दौरान इनके पास से एक-एक हज़ार के पचास जाली नोट और 7 सौ ग्राम अफ़ीम बरामद हुई।

अजय साहनी का दावा है कि दोनों मुलज़िम जाली नोट और अफ़ीम के अलावा कछुए की हड्डी की भी तस्करी करते हैं। इन्होंने कई राज्यों में अपने धंधे का मज़बूत नेटवर्क खड़ा कर रखा है। वहीं पुलिस सूत्रों ने अपने ही अफसर के दावे पर सवाल खड़ा किया है। सूत्रों का कहना है कि अमूमन जाली नोटों के तस्कर नशीली ड्रग्स के धंधे में हाथ नहीं आज़माते। गिरफ़्तार आरोपियों के पास से अफ़ीम की कोई बरामदगी भी नहीं हुई है।

सिद्धार्थनगर ज़िले में जाली नोटों की बरामदगी का यह पहला मामला नहीं है। साल 2008 में डुमरियागंज तहसील की एसबीआई शाखा के कैशचेस्ट से 5 करोड़ के जाली नोट बरामद होने पर पूरे राज्य में सनसनी फैल गई थी। लखनऊ के आला अफसरों ने बैंक में छापेमारी के बाद कैशियर सुधाकर त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। मगर इस सनसनीखेज बरामदगी के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस महकमा सिद्धार्थनगर ज़िले में जाली नोटों के कारोबार का नेटवर्क नहीं तोड़ पाया। साल 2012 में एक बार फिर उसका थानाक्षेत्र में 3 लाख के जाली नोटों की बरामदगी हुई। और अब अनवारूल और कजामुल की गिरफ्तारी के बाद पुलिसिया चौकसी की कलई फिर से खुल गई है।

मगर मज़े की बात यह है कि तस्करों से इतर जाली नोट जनपद के बैंकों में भी आए दिन मिलते हैं। बैंक ग्राहक आए दिन जाली नोटों के साथ बैंक अफसरों से मिलते हैं मगर कानूनी पचड़ों में फंसने के डर से बैंक अधिकारी उन्हें जलाकर या फिर फाड़कर अपनी जान छुड़ा लेते हैं।

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