धरती पर सैलाब-आकाश से बरसात: दोहरी आफ़त में फँसे बांधों पर शरण लिए पीड़ित
नज़ीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बुधवार भोर से 11 बजे तक हुई बरसात ने सैलाब पीड़ितों पर तगड़ी चोट की है। पानी से घिरने के कारण वे भाग कर बंधे पर शरण लिए थे। आज की बरसात ने उनके प्लास्टिक के घरौंदों को भी तबाह कर दिया है। धरती और आकाश से हो रही दोहरी मार से त्रस्त होकर अब वो नए आसरे के लिए भटक रहे हैं।
जिले में प्रशासन ने पीड़ितों की तादाद लगभग फ़ो लाख आंकी है। अनुमान है जिनमे से 10 हज़ार आबादी तटबंधों पर प्लास्टिक के तंबुओं में रह रही है। ये आबादी भोजन को लेकर पहले ही परेशान थी, ऊपर से आज भोर से हो रही बारिश ने उनकी कमर तोड़ दी है।
अशोगवा बाँध पर सतवाढी गाँव के पास बंधे पर शरण लिये अब्दुल वाहिद का कहना है कि बरसात होने से उनके तंबू उखड गए। दो घण्टे भीगने के बाद एक नेक इंसान ने उनके परिवार को अपने बरामदे में शरण दी है। ताल नटवा के एक पीड़ित जिनका नाम वोटर है वो कहते हैं कि भोर में जब उनका परिवार भीग कर कांपने लगा तो उन पर तरस खा कर सुदामा ने शरण दे दिया, वरना बच्चे तो भीग कर मर ही जाते।
दरअसल वाहिद और वोटर की कहानी बांधों पर शरण लिए हर बाढ़ पीड़ित की है। कुछ लोगो को सुदामा जैसे आश्रयदाता तो मिल गए हैं, मगर अधिकांश बदनसीब बाढ़ के साथ बरसात की मार झेलने को अभिशप्त हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप चतुर्बेदी कहते हैं कि प्रशासन को चाहिए की वो बाढ़ पीड़ित क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों को शरणालय बना कर उनके ज़ख्म पर मरहम लगाये।उन्होंने प्रशासन से तत्काल मदद की अपील की है।