रैन बसेरा मुसीबत है, तो बनाया ही क्यों गया था सीएमएस साहब!
सिद्धार्थनगर जिला अस्पताल में 2003 में मरीजों के तीमारदारों के लिए बनाये गये रैन बसेरे का ताला आज तक नहीं खुला है। अस्पताल प्रशासन इसे खोलना नई मुसीबत को बुलाना बता रहा है। सीएमएस की माने तो कर्मचारी पहले ही कम हैं, रैन बसेरा खोलने से मुसीबत और बढ़ जायेगी।
वर्ष 2003 में भाजपा सांसद राम पाल सिंह ने जिला अस्पताल में करीब चार लाख रुपये खर्च कर रैन बसेरा का निर्माण कराया था। इसके निर्माण के पीछे उनकी मंशा थी कि अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भती मरीजों के साथ आये उनके परिजन यहां रहेंगे। जिससे वार्ड में अनावश्यक भीड़ नहीं होगी और गंदगी की समस्या भी कम होगी, मगर अस्पताल प्रशासन के अड़ियल रवैये से निर्माण के 12 वर्ष बाद भी रैन बसेरा नहीं खुल पाया।
कांग्रेस नेता अतहर अलीम, देवेन्द्र कुमार गुडडू एवं भाजपा नेता कन्हैया पासवान का कहना है कि अस्पताल प्रशासन जानबूझ कर ताला नहीं खोल रहा है। नेताओं ने कहा कि रैन बसेरा में तालाबंदी से तीमारदारों की परेशानी काफी बढ़ जाती है। रात के समय आपातकालीन वार्ड के बाहर तमाम लोग फर्श पर सोते हैं। बरसात और जाड़े के दिनों में तो वार्डों में ही मरीजों के साथ तीमारदार भरे रहते हैं।
अगर अस्पताल के पास कर्मचारी नहीं थे, तो इसका निर्माण ही नहीं कराना चाहिए था। इस सिलसिले में सीएमएस ओ पी सिंह का कहना है कि अस्पताल में वैसे ही कर्मचारियों की कमी है। रैन बसेरा खोलकर कौन मुसीबत मोल ले।