शोहरतगढ़ः तो क्या अब बसपाई राजनीति की धुरी मुमताज अहमद के आस पास घूमेगी?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बसपा नेता जमील सिद्दीकी के पार्टी से निष्कासन जिले के नेपाल सीमा से सटे इलाके में कोई उल्लेखनीय गैर दलित नेता नहीं रह गया है। ऐसे में बसपा के खेमे में गैर दलित खेमे के नेता की तलाश में चिंतन शुरू हो गया है। सिद्धार्थनगर के बसपाई राजनीति को जानने वाले समीक्षकों का अनुमान है कि शोहरतगढ़ के नेता मुमताज अहमद की वापसी बसपा में यकीनी है। पार्टी जल्द ही उनकी सेवाओं का लाभ लेने से गुरेज नहीं करेगी।
बता दें कि शोहरतगढ विधानस्भा की राजनीति में बसपा ने बहुत प्रयोग किये हैं।पार्टी के प्रथमिक कार्यकर्ता मोती लाल विद्यार्थी से लेकर गत विधानसभा चुनाव में प्रत्यशी रहे जमील सिद्दीकी तक इस क्षे़त्र से लगभग आधा दर्जन लोग आजमाए जा चुके हैं। इनमें से कुछ ने दल बदल किया तो कुछ को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया। केवल मुमताज अहमद ही एकमात्र नेता थे, जिन्हें पार्टी ने न तो निकाला और न ही उन्होंने पार्टी को त्यागा।बस चुनाव में अकारण अपना टिकट कटने से वह दुखी हुए,फिर भी स्वतंत्र रूप से क्षेत्र की जनता से जुडे रहे। इस दौरान उन्होंने मायावती के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा।
बसपा के सूत्रों का कहना है कि मुमताज अहमद को बहन जी व्यक्तिगत रुप से जानती हैं। वह तीन में दो चुनाव बेहद कम अंतर से पराजित हुए। लेकिन गत चुनाव में हालात कुछ ऐसे बने की मायावती ने उनका टिकट काट कर सपा से तत्काल पार्टी में आये जमील सिद्दीकी को टिकट दे दिया। चुनाव हारने के बाद जमील सिद्दीकी सपा से पुनः संपर्क बनाने लगे। इस पर मायावती ने उन्हें बसपा से बर्खास्त कर दिया।
बसपा के बेहद जिम्मेदार सूत्रों का कहना है कि अब मायावती जी को पत चल गया है कि मुमताज अहमद ही इस क्षेत्र में सबसे भ्रोसेमंद नेता हैं। वह टिकट न मिलने के बाद भी पार्टी से अलग नहीं हुए और न ही उन्होंने कोई बसपा विरोधी बयानबजी की। लिहाजा जल्द ही उन्हें पार्टी में लेने की कोशिश की जायेगी। पार्टी के नेताओं का अनुमान है कि नये हालात में मुमताज अहमद शोहरतगढ़ के नहीं पूरे जिले के गैरदलित बसपा नेता बन के पार्टी की लीडरशिप संभाल सकते हैं।
मुमताज अहमद ने दिया बेबाक बयान
इस बारे में मुमताज अहमद ने कपिलबस्तु पोस्ट से बड़ी बेबाकीसे बात की। उन्होंने कहा कि केवल शोहरतगढ में ही कोई नेता नही है, यह सोचना गलत है। उन्होंने कहा कि वास्तव में पूरे जिले से बपा की लीडरशिप खत्म हो चुकी है। सिर्फ डुमरियागंज में बसपा जिंदा है। बावजूद कोइऐसा नेता नहीं है जो पूरे जिले में पार्टी की अगुआई कर सके।
उन्होंने कहा कि बसपा नेताओं में धन की संस्कृतिक निचले स्तर पर पहुंच चुकी है।लोग उनके शोषण से परेशान हैं। इसी के चलते बसपा में बहुत दिनों तक कोई नेता रह नहीं पाता। उन्होंने कहा कि बात बहन जी की नही है, नीचे के धनपशुओं ने माहौल गंदा कर रखा है। उन्होंने पार्टी में पुनः सक्रिय होने के सवाल पर कहा कि अभी वह बहन जी का रुख देखेंगे इसके बाद ही फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि बसपा का वर्तमान फैसला उचित है। निकाले गये लोग प्रोफेशनल हैं। उन्हें पार्टी नहीं अपना लाभ प्रिय है।