कपिलवस्तु महोत्सव– फूलों की चंद पंखुरियों को तरस गया स्तूप पूजन कार्यक्रम, भाजपा विधायकों ने किया बायकाट
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। कपिलवस्तु महोत्सव सिद्धार्थनगर का आज पांचवा दिन है। गौतम बुद्ध के नाम पर होने वाले महोत्सव सम्बंधी इस आदरणीय कार्यक्रम की उपेक्षा से आज खुद्ध तथागत भी दुखी होंगे। पुरातात्विक क्षे़त्र आज पहली बार बुरी तरह उदास और बेरौनक दिखा। गौतम बुद्ध के स्तूप पर आज फूलों की चंद पंखुरियां तक नहीं बिखेरी गईं। अफरा तफरी के माहौल में सत्ता पक्षा के दो विधायकों ने भी नाराज होकर समारोह का बायकाट कर दिया।इस प्रकार स्तूप पूजन कार्यक्रम चूं चूं का मुरब्बा बन कर रह गया। आज के कार्यक्रम को लेकर बौद्धिक हलकों में प्रशासन की जबरदस्त आलोचना हो रही है।
आज शुक्रवार सुबह जब लोग स्तूप पूजन कार्यक्रम के लिए गौतम बुद्ध की जन्म स्थली कपिलवस्तु पहुचे तो वहां की हालत देख निराश हुये। पिछले ढाई दशकों से चल रहे महोत्सव में स्तूप पूजन कार्यक्रम के दौरान मुख्य स्तूप फूलों से सजा होता था, लेकिन आज के कार्यक्रम में सादा स्तूप को देख कर कहीं से उत्सव का यहसास ही नहीं हो रहा था। स्तूप की परम्परागत परिक्रमा भी नहीं हुई। बस कुछ खास लोगों के भाषण के साथ पूजन कार्यक्रम खत्म कर दिया गया, जबकि महोत्सव का यह कार्यक्रम गौतम बुद्ध को आदर देने के लिहाज से आयोजित किया जाता था।
इस मामले में प्रशासन का कहना है कि पुरातत्व विभाग ने इसके लिए पत्र भेज कर मना किया था, जबकि जानकारों का कहना है कि स्तूप में कील कांटे गाड़ने से मना किया गया था। ऐसे निर्देश अक्सर आते हैं। उसमें पुष्प् डालने की मनाही कहीं नहीं होती।
भाजपा विधायकों ने किया पूजन कार्यकम का बहिष्कार
बताया जाता है कि सरकारी व्यवस्था और उपेक्षा से दुखी होकर शोहरतगढ़ के विधायक अमर सिंह और इटवा के विधायक सतीश द्धिवेदी ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया और नाराज होकर वहां से चले गये। इस बारे में विधायक अमर सिंह का कहना था कि यह एक अपमानजनक क्षण था। स्तूप की ऐसी उपेक्षा मैने कभी नहीं देखी।
विधायक सतीश द्धिवेदी बेहद आक्रोश में थे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि बुद्ध का अपमान हुआ। हमारा अपमान हुआ। उनका आरोप था कि हमे बतौर जनप्रतिनिधि बुलाया गया और बैठने तक को नहीं कहा गया। लेकिन जब बुद्ध ही उपेक्षित रहे तो उनकी बात ही दीगर है। उन्होंने कहा प्रशासन का यह व्यवहार घोर आपत्तिजनक है। इतना कह कर दोनों विधायक वहां से चले गये।
क्या है स्तूप पूजन और उसका महत्व
दरअसल कपिलवस्तु महोत्सव जनपद के सृजन दिवस पर मनाया जाता है। इस महोत्सव की खास बात होती है कि इसका शुभारम्भ कपिलवस्तु स्थित महात्मा बुद्ध के स्तूप के पूजन से शुरू होता है। उस दिन पूरे स्तूप को फूलों से सजाया जाता है और स्तूप पूजन के बाद पूरे महोत्सव तक प्रतिदिन सूर्यास्त के बाद से दोपोत्सव होता है। वहां आतिशबाजी होंती है। लेकिन यह पहली बार है कि स्तूप पूजन स्थल की उपेक्षा हुई। स्तूप पूजन पांचवें दिन हुआ और अब तक दीपात्सव हुआ ही नहीं। जाहिर है कि इस बार यह कार्यक्रम संवेदना रहित और केवल तफरीही कार्यक्रम बन कर रह गया।