Excludive- कपिलवस्तु महोत्सव बना मजाकः मुशायरे ने कवि सम्मेलन से पूछा, “ मंच पर मै कहां हूं भाई?”
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। भारत के सबसे बड़े शायर राहत इंदौरी की मशहूर गजल का एक बेहद मशहूर शेर है, गौर करिए, “ सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदोस्तान थोड़ी है।” कपिलवस्तु महोत्सव में बीती रात आयोजित कविसम्मेनल और मुशायरे में उनका यह शेर गलत साबित हो गया। गुरुवर की रात कौमी एकता के नाम एक शाम के नाम से आयोजित कविसम्मेनलन और मुशायरे में एक दर्जन कवियों के बीच राहत इंदौरी अकेले शायर थे। यानी हिंदुस्तान न सही मंच तो किसी की बपौती हो ही गया था। फलतः मंच पर बैठे खुद राहत इंदौरी साहब का शेर गलत साबित हो गया।
बीती रात के गीतों और गजलों भरी शाम में एक दर्जन कबियों के बीच राहत इंदौरी अकेले शायर थे। बाकी कवि थे। इनमें कवि प्रदीप चौबे, हरीश चन्द्र हरीश और सुमन दुबे ही ऐसे कवि थे जो कवि और कविता की गरिमा से वाकेफ थे। बाकी को चन्द्रबरदाई की श्रेणी में रखा जा सकता है।
मंच पर हिंदी उर्दू साहित्य में विषमता बहुत दुख भरी थी। इससे गंगा जमुनी तहजीब शर्मसार थी। १२ लोगों में अधिकांश जनता को हंसाने वाले विदूषक थे। लेकिन श्रोता और स्वंय प्रतिष्ठित कवि भी कविता के चीर हरण पर दुखी थे। १२ लोगों में ११ कवि और एक शायर कविता की दुनियां में कविसम्मेलन और मुशायरे वाली गंगा जमुनी वाली तहजीब का मजाक उड़ा रहे थे।
राहत इंदौरी ने अपनी बारी में कहा भी कि इतने कवियों के बीच मै अकेला शायर हूं। मुझे गर्व है की मै कुछ लिखता पढ़ता हूं। कार्यक्रम के बाद हिंदी के प्रख्यात कवि हरीश्चन्द्र हरीश जी ने कहा कि ऐसा गंगा जमुनी कार्यक्रम उन्हों ने अपनी जिंदगी में नहीं देखा। बहरहाल राहत इंदौरी, हरीश जी के अलावा डा- सुमन दुबे व प्रदीप चौबे जी की कविताओं ने खुब समां बांधा।
छब्बीस साल के कपिलवस्तु महोत्सव में यह पहला मौका था कि गंगा जमुनी कार्यक्रम की आड़ में प्रशासन ने साकरी एजेंडा तय किया। आम तौर पर मंच से सत्ता की धज्जियां उड़ाने वाले कवियों के नाम पर ऐसे लोग लोग बुलाये गये जो सत्ता की चरण वंदना करते रहे। गंगा जमुनी जमुनी तहजीब वाले कार्यक्रम का यह मतलब तो नही है साहब।