मासूम साजन के कत्ल को लेकर मां बाप ही शक के घेरे में, पुलिस खामोश, चर्चाओं का दौर
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। किसी मासूम का गला घोंट कर कत्ल कर दिया जाये, उसकी लाश घर से तीन किमी दूर निर्जन झाड़ियों में मिले और मां बाप पुलिस में जाने के बजाये उसकी लाश को लाकर अनन फानन में अंतिम संस्कार कर दें तो मामला बेहद रहस्यमय हो जाता है और परिजनों पर ही अंगुलियां उठने लगती हैं।
ऐसा ही हादसा तीन साल के मासूम साजन चौधरी के साथ हुआ। रविवार की रात साजन की लाश् गांव से तीन किमी दूर एक नाले के पास की झाड़ियों में मिली। लाश की उबली आंखें, बाहर निकली जुबान चीख चीख कर गवाही दे रहीं थीं कि उसको गला घोंट कर मारा गया है। मगर उसके बाप कन्हैया चौधरी और मां रात में बेटे की लाश लेकर घर आये और सोमवार की सुबह उसे चुपचाप दफना दिया।
इस घटना के बात गांव में चर्चाएं शुरु हो गईं और साजन के परिजन खास कर मां पर संदेह की अंगुलियां उठने लगीं। लोग तरह तरह की चर्चा करने लगे। हैरत है कि यह घटना पूरे इलाके में बुखार की तरह तप रही है, मगर पुलिस मामले से अनिभिज्ञता बता रही है। सच है बिना तहरीर के पुलिस एक सरदर्द क्यों मोल ले। पुलिस वैसे भी “आ बैल मुझे मार” की कहावत कभी फालो नहीं करती।
क्या है पूरा मामला
सिद्धार्थनगर के मोहाना थाने के गढमोर गांव में कन्हैया चौधरी का परिवार रहता है। रविवार अपरान्ह कन्हैया की पत्नी अपने तीन साल के बेटे साजन को लेकर घर से कहीं निकली थी। इसके बाद वह तो लौट आई लेकिन बेटा नहीं आया। लोगों के पूछने पर उसने बताया कि गाव में कही खेल रहा होगा। हालांकि तीन साल के बच्चे का अकेले गांव में खेलने जाना अस्वभाविक है, लेकिन उसकी दलील काम कर गई।
सूरज डूबने के बाद तक बच्चा घर नही लौटा, मगर घरवालों को चिंता नही हुई। अचानक देर शाम एक खबर आई के गढमोर गांव से तीन किमी दूर लोटन कोतवाली क्षे़त्र के परसा गांव के नाले के पास झाड़ियों में साजन की लाश पड़ी है। सूचना पाकर परिजन रात नौ बजे मौके पर गये। उन्होंने लाश लाकर सुबह उसे दफन कर दिया। लेकिन न तो मामले पर कोई अफसोस किया न ही पुलिस को इत्तला दी।
मां क्यों है जिम्मेदार
इस घटना के बाद मां बाप की खामोशी लोगों में चुभ गई। लोग तमाम तरह की बातें फैलाने लगे। लोगों का कहना है कि मरने वाले मासूम साजन का बाप कद से बावना है। वह कुछ कर पाने में मजबूर है, ऐसे में मां की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अगर उसकी मां ने कोई कार्रवाई का प्रयास नहीं किया तो कोई खास वजह ही रही होगी। गांव वालों के मुताबिक परिस्थिति जन्य साक्ष्य तो उसकी मां के खिलाफ जाते हैं। वह पति के बावना होने से दुखी थी। कहते हैं कि उसका किसी से अवैध सम्बंध था। इसलिए वह साजन से छुटकारे के बाद उसके साथ जाना चाहती थी।
हालांकि यह सिर्फ चर्चाएं हैं। इन चर्चाओ का कोई साक्ष्य नहीं है, मगर बेटे के कत्ल की घटना को पुलिस से छुपाने के पीछे तो कोई रहस्य जरूर है। दूसरी तरफ पुलिस भी इस मामले में शिकायत के बिना हाथ नहीं डालना चाहती। सवाल है कि कोई तीन साल के मासूम की बेवजह क्यों हत्या करेंगा। मामला पेचीदा है, मगर इस पेचीदगी की गुत्थी सुलझाने वाला कोई नहीं है। क्या पुलिस कप्तान साहब मानवता के नाम पर इस केस की गुत्थी सुलझाने का आदेश पुलिस को देंगे?