बार्डर के प्राथमिक विद्यालय बत्तर, रहते है बंद, भेजन व पढने के लिये टाट भी कम
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश के नेपाल बार्डर स्थित प्राथमिक विद्यालयों की हालत बद से बत्तर है। ये स्कूल कभी कभार तो खूलते ही है ऊपर से न बच्चों के बैठने का टाट है और न ही एमडीएम का भोजन। यही नही बार्डर के समीप सभी विद्लयों में वर्षों से रंगाई पुताई भी नही हुए है। स्कूलों में तैनात अध्यापक अपने विभागीय चुनाव प्रचार में व्यस्त है और प्रदेश की योगी सरकार स्कूल चलो अभियान भी चला रही है। इसके अलावा स्कूलों में पंजीकृत बच्चों के सापेछ दोगुना बच्चों का नाम रज्सिटर में दर्ज कर एमडीएम के पैसे में घपलई भी की जा रही है।
उक्त समाचार तो फिलहाल पिछले २७ मार्च को ही बीईओ के जांच में उजागर हो चुका है, लेकिन बार्डर के विद्यालयों पर तैनात अध्यापको के कानों पर अभी तक जूं नहीं रेंगा है। अभी तक उन्होंने स्कूलों में न ही बच्चों के पर्याप्त भोजन की व्यवसथा की है और न ही टाट पर बैठ कर खाने की। ये अलग बात है कि विद्यालय में ३४ बच्चों के नामों की जगह 80 या 85 बच्चों का नाम दर्ज है जिससे एमडीएम के भोजन के पैसे में भारी घोल किया जा रहा है।
नेपाल बार्डर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय महली भी समय से न ही खुलता है और न ही बंद होता है यहाँ एक अध्यापक कम नेता ज्यादे जी है जो बच्चों को पढ़ाने के बजाय अपनी राजनीति चमकाने के लिये बीआरसी और अपने स्कूल के अगल बगल के स्कूलों पर राजनीती चमकाते है चूंकि उनको ब्लॉक अध्यक्षी का चुनाव जो लड़ना है इसीलिये अभी से ही चुनावी फिजा बना रहे है स्कूल टाइम में घूमते रहते है